झारखंड में भी घट रही है हाथरस जैसी घटनाएं, कोर्ट नहीं कर सकता इन मामलों में अनदेखी-हाईकोर्ट

झारखंड में भी घट रही है हाथरस जैसी घटनाएं, कोर्ट नहीं कर सकता इन मामलों में अनदेखी-हाईकोर्ट

रांची: बीते दिन गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने कहा कि हाथरस जैसी घटनाएं झारखंड में भी घटी है. पुलिस इन मामलों की जांच नहीं कर रही है ऐसे में कोर्ट इन मामलों की अनदेखी नहीं कर सकता. संबंधित घटनाओं को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार एसआईटी टीम गठित (SIT team formed) कर जांच कराएं और दोषियों की पहचान करें ताकि उन्हें सजा दी जा सके.

बता दें जस्टिस आनंदा सेन (Justice Ananda Sen) की अदालत में बीते दिन गुरुवार को गिरिडीह जिले के राजधनवार थाना क्षेत्र में रहने वाली एक लड़की के दुष्कर्म के बाद जलाकर हत्या कर देने की मामले की सुनवाई की हो रही थी. सुनवाई के दौरान लड़की के पिता ने बताया कि पुलिस मामले की जांच नहीं कर रही है. जिससे कि आरोपी खुलेआम बाहर घूम रहे हैं. वहीं दोनों पक्षों की दलीले सुनकर कोर्ट ने सरकार को एसआईटी की टीम गठित कर मामले की जांच करने का आदेश दिया. साथ ही इसकी कॉपी मुख्य सचिव(Chief Secretary), गृह सचिव और डीजीपी को भी भेजने का आदेश दिया.

जानकारी के लिए बता दें कि 31 मार्च 2020 को पीड़िता के पिता ने थाने में एफआईआर (FRI) दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने बताया था कि उनकी नाबालिग बच्ची (Minor girl) के साथ पिंटू पासवान ने 30 मार्च 2020 को दुष्कर्म किया फिर केरोसिन छिड़ककर (By spraying kerosene) उसे जला कर उसकी हत्या दी. वहीं रातू के परहेट से गुरुवार को रिश्ते को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. रिश्ते में फूफा लगने वाला 28 वर्षीय निसार अंसारी उर्फ भाडु ने अपनी भतीजी के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी. सच छुपाने के लिए उसने बोरे में शव को डालकर 50 मीटर की दूरी पर खेत में फेंक दिया.

जिसके बाद देर शाम तक बच्ची के घर लौटने की खबर ना आने पर घर वालों ने उसे ढूंढना शुरू किया. जिस दौरान यह पता चला कि बच्ची उसके फूफा नेसार के घर गई थी. घरवाले निसार के घर गए तो उन्हें हर जगह खून बिखरा दिखा. जब उसे गांव के बीच में लेकर आया गया तब उसने दुष्कर्म की बात कबूली. जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया और उसे हिरासत में लिया गया.

पुलिस की इन मामलों में लापरवाही (Negligence) और अनदेखी को देखते हुए सवाल ये उठता है कि क्या लड़कियां कभी सुरक्षित महसूस कर पाएंगी? लड़कियां न ही बाहर सुरक्षित है न ही अपने घर में सदस्यों के बीच महफूज. हमारा उद्देश्य किसी भी रिश्ते को ठेस पहुंचाना नहीं है. बल्कि हमारा मकसद तो लड़कियों की सुरक्षा पर सवाल उठाना है जो उन्हें मिलना नामुमकिन सा लगता है. ऐसे में लड़कियां सुरक्षित (Girls safe) महसूस करें भी तो कहां? ऊपर से पुलिस की इन मामलों पर जांच में लापरवाही. जो आरोपियों को खुलेआम बाहर घूमने में बढ़ावा देती है.

Edited By: Samridh Jharkhand

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