झारखंड : आज और कल बारिश के आसार, पॉवर प्लांटों में फिर मंडराया कोयला संकट का खतरा
रांची : झारखंड के विभिन्न हिस्सो में 19 अक्टूबर व 20 अक्टूबर को अच्छी बारिश की संभावना है। 19 अक्टूबर यानी आज कई क्षेत्रों में भारी बारिश के आसार है। मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, 21 अक्टूबर, गुरुवार से दिन साफ हो सकता है। वहीं, भारी बारिश के कारण राज्य के पॉवर प्लांटों में एक बार फिर कोयला संकट का खतरा बढ गया है, जिससे बिजली का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
तेलंगाना के आसपास के चक्रवात का असर झारखंड के लगभग सभी जिलों पर पड़ा है। चक्रवात के कारण ओडिशा व आसपास के क्षेत्र में निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। मंगलवार व बुधवार को राज्य में इसका असर देखने को मिलेगा। सोमवार को राज्य के संताल, कोल्हान क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई है और बारिश की संभावना कायम है।
रांची में 24 घंटे में 60 मिमी बारिश दर्ज की गयी है। बारिश से तापमान में भी गिरावट दर्ज की जा रही है जो ठंड बढने का सूचक है। बीएयू के विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि किसान भाई अगले कुछ दिन धान की कटाई नहीं करें और अगर फसल काट ली है तो उसे सुरक्षित स्थान पर रखें। सलाह में कहा गया है कि अगले कुछ दिन बारिश की संभावना कायम है। किसानों को जल निकासी व रबि की खेती की तैयारी करने की भी सलाह दी गयी है।
कोयला का संकट, घटा बिजली उत्पादन
झारखंड के डीवीसी के पॉवर प्लांटों में तीन से चार दिन के कोयला का स्टॉक शेष है। भारी बारिश के कारण इसकी आपूर्ति प्रभावित होने की संभावना है। बिजली कंपनियां सीसीएल और बीसीसीएल से कोयला आपूर्ति की मांग कर रही हैं। पॉवर प्लांटों में विद्युत उत्पादन घट गया है। झारखंड में एनटीपीसी से 700 मेगावाट की जगह 400 मेगावाट बिजली मिल रही है।
वहीं, राज्य में डीवीसी के तीन पॉवर प्लांट अपनी उत्पादन क्षमता का 75 प्रतिशत बिजली ही पैदा कर रही हैं। स्टॉक लेवल कम है। कोडरमा थर्मल पॉवर की उत्पादन क्षमता एक हजार मेगावाट है और उसको रोज 11 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, जबकि छह से सात हजार मीट्रिक टन कोयला ही मिल रहा है। इससे उत्पादन 500 से 600 मेगावाट हो गया है। 500 मेगावाट क्षमता के ंचंद्रपुरा पॉवर प्लांट से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बोकारो थर्मल पॉवर प्लांट की उत्पादन क्षमता भी 500 है, लेकिन कम उत्पादन हो रहा है। झारखंड को 600 मेगावाट की जगह 500 मेगावाट बिजली दी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में लोड शेडिंग की जा रही है।