Chaibasa News: डेंगू की चपेट में चाईबासा शहर, जनता कह रही रुंगटा जी नहीं होते तो क्या होता!
नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग लाचार और बेबस

डेंगू और बीमारी होने पर तत्परता से स्वास्थ्य विभाग इलाज कर रहा है. शहर की आबादी के अनुसार सफाई कर्मियों की कमी है. नियमित रूप से शहर की सफाई नहीं हो पाती है. चारों तरफ कूड़े कचडे का अंबार लगा रहता है.
चाईबासा: शहर में डेंगू काफी तेजी से फैल रहा है. डेंगू का कहर चारों तरफ फैल गया है. कई लोगों की डेंगू के कारण मौत भी हो चुकी है. अमीर लोगो और महानगरों की बीमारी चाईबासा जैसे छोटे शहर में भी पहुंच गई है. डेंगू, मलेरिया के रोकथाम के लिए रुंगटा ग्रुप द्वारा डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है. फॉगिंग मशीन से पूरे शहर में दवा का छिड़काव कराया जा रहा है. इतने बड़े शहर में, गली मोहल्ले में सिर्फ एक बार डीडीटी का छिड़काव और फॉगिंग मशीन से दवा, धुआं करने से डेंगू समाप्त नहीं होगा. इसके लिए नियमित रूप से डीडीटी और फागिंग मशीन से धुआं दवा का छिड़काव करना होगा.

वहीं शहर के दर्जनों सामाजिक संस्था का दम भरने वाले और दर्जनों कथित उद्योगपतियों और समाजसेवियों को मानो सांप सूंघ गया है. कथित समाज सेवी और उद्योगपति बनकर, झारफांस देकर, कथित कथित संस्थाओ के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर फोटो खिंचवाकर छपाना, छपास रोग से ग्रसित होना, शहर में कथित समाजसेवी बनकर घूमना भर उनका काम रह गया है. कोई सामाजिक सरोकार,जन सेवा, मानवसेवा, जन कल्याण,जनहित में कोई काम नहीं है. सिर्फ कथित फलाना समाजसेवी,कथित ढेकाना समाजसेवी का तमगा लेकर पुलिस प्रशासन के आगे पीछे करके ही उनका बढ़िया समय और धंधा पानी चल रहा है.
नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग तो लगता है महामारी फैलने का इंतजार कर रहा है. आपदा में भी अवसर खोज रहा है. डेंगू, मलेरिया, महामारी फैलेगा तब तो अवसर मिलेगा.... डेंगू, मलेरिया में कई लोगों ने अपनों को खोया है. किसी भी आपदा अथवा विपत्ति में सामाजिक सरोकार रखना, लोगों की सेवा करना, जरूरतमंदों की मदद,सेवा सहयोग करना ही मानव जीवन का परम धर्म और कर्तव्य है. धंधा पानी, व्यवसाय नाटक, नौटंकी,ड्रामा,लाभ हानि तो चलता रहेगा...
कोरोना जैसे महामारी को भी हम लोगों ने झेला है और महसूस किया है. जहां सभी रिश्ता नाता तार तार हो गया, रिश्ते नाते, मानवता सभी शर्मसार हो गया और पैसा धरा का धरा रह गया .... पूर्व में देखा जाता था कि स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद डीडीटी का छिड़काव करती थी. फॉगिंग मशीन से धुआं और दवा का छिड़काव होता था, मगर हाल के कुछ वर्षो से दवा का छिड़काव पूरी तरह बंद हो गया है. ऐसी बात नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग इलाज नहीं कर रहा है. डेंगू मलेरिया बीमार पड़ने पर तत्परता से इलाज भी कर रहा है, मगर रोकथाम के कोई वैकल्पिक और सकारात्मक प्रयास नहीं हो रहे हैं.
शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में डीडीटी और दवा छिड़काव नहीं हो रहा है. वर्तमान में शहर की आबादी बढ़ी है. उस हिसाब से नगर परिषद में सफाई कर्मियों की संख्या काफी कम है. जिसके कारण साफ सफाई और कचरे का उठाव प्रतिदिन नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण पूरा शहर में कूड़ा कचडा भर जाता है जिससे डेंगू मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी पनपने का मौका मिलता है.