Opinion: भैया आप नहीं होते तो मैं पत्रकार नहीं होता: राणा गौतम
भैया आप नहीं होते तो मैं पत्रकार नहीं होता। यह बात अकसर मुझे राणा गौतम कहा करता था। मैं उसकी बातों को हस कर टाल देता था। मुझे आज भी याद है कि गर्मी के दिन थे दोपहर के वक्त पहली बार पत्रकार बनने की लालसा लिए दैनिक देशप्राण के कार्यालय में राणा गौतम मेरे पास आया था। उसे अच्छी तरह मालूम था कि मैं उसके एडीएम पिता राजेन्द्र प्रसाद को भलीभांति जानता और पहचानता हूं।

उसके तीस वर्षों के पत्रकारिता जीवन में मैं उसके घर क ई बार आया-गया। वह भी मेरे घर आया करता था। सुबह के वक्त में मैं जब भी उसके घर जाता अपनी मां से चाय बनवाकर पिलाता। इसके बाद घर से मेरे साथ निकलता और घर के सामने एक महिला की दुकान पर ले जाता अपने लिए दस-बीस तिरंगा गुटखा और मेरे लिए एक सर गुटखा खरीदता। इसके बाद पत्रकार राजन बाबी के घर या पिस्का मोड़ की ओर निकल जाता। तब मैं इतना गुटखा खरीदने को लेकर उसे डांटता भी था। वह मुझे बड़ा भाई मानता था। कभी-कभी तो कटहल, पपीता, अमरूद, फुलगोभी आदि मुझे देता।
यह सब उसके घर की उपज होती थी। जब देशप्राण के दफ्तर में कुछ लिखना-पढ़ना सीख गया तो वह रांची एक्सप्रेस में चला गया। 1999 में जब मैं झारखंड जागरण में आया तो राजन बाबी और नवनीत नंदन को भी मेरे पास लेकर आया। ये लोग भी आज के समय में झारखंड के अच्छे पत्रकारों में जानेपहचाने जाते हैं जिन पर मुझे काफी गर्व होता है। आज राणा दुनिया से चला गया लेकिन युवावस्था की अनगिनत यादें मेरे पास छोड़ गया। मैं आज सिर्फ यह सोचकर विचलित हो रहा हूं कि वृद्धावस्था में उसके पिता राजेन्द्र प्रसाद पर क्या बीत रही होगी। उसका बड़ा भाई रांची से बाहर रहता था। राणा ही अपने वृद्ध पिता का एकमात्र सहारा था।
आज तुम्हें दिवंगत कहते हुए बहुत अफसोस हो रहा है राणा गौतम। लेकिन क्या करूं ईश्वर की यही इच्छा है।
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
