लालू परिवार की राजनीतिक चाल नहीं होगी सफल, नीतीश कुमार नहीं मारेंगे पलटी, समझिए अंदर की बात!
तेजस्वी को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं राजद सुप्रीमो
भाजपा जब कुर्सी देने को तैयार है तो फिर पाला क्यों बदलेंगे। भाजपा के पास भी नीतीश कुमार को साथ लेकर चलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। नीतीश और भाजपा की जोड़ी ही बिहार में कमाल दिखाती रही है
रांची: बिहार की सियासत में पिछले कुछ दिनों से फिर हलचल है। सत्ता परिवर्तन की बात कही जा रही है। पलटू राम के फिर से पलटने के कयास लगाए जा रहे हैं। बिहार की मीडिया को एक मसाला मिल गया है। सोशल मीडिया का तो कहना ही क्या। राजद सुप्रीमो लालू यादव, तेजस्वी यादव और सांसद मीसा भारती के बयानों को अपने अपने तरीके से जोड़कर मीडिया के बंधु खबरें चला रहे हैं। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। इसलिए राजनीतिक खबरों पर चर्चाएं चल रही हैं। चर्चा के केंद्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।
उनकी विश्वसनीयता नहीं रह गई है। फिर भी मुझे पूरा भरोसा है कि नीतीश कुमार अब पलटी नहीं मारेंगे. इसलिए इस बार नीतीश कुमार पर भरोसा किया जाना चाहिए। उनकी उम्र भी अब बहुत हो चुकी है। उम्र से संबंधित परेशानियां अलग हैं। बिहार में खेला होने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को निराशा हाथ लगेगी।
नीतीश को मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए। भाजपा जब कुर्सी देने को तैयार है तो फिर पाला क्यों बदलेंगे। भाजपा के पास भी नीतीश कुमार को साथ लेकर चलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। नीतीश और भाजपा की जोड़ी ही बिहार में कमाल दिखाती रही है। नीतीश से अलग हटकर भाजपा बिहार में बहुत कुछ नहीं कर पाएगी। यह साबित हो चुका है।
भाजपा ने नीतीश की ताकत को पहचाना है। इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने नीतीश कुमार की हर शर्त को मानते हुए उन्हें एनडीए में फिर से शामिल किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन बेहतर रहा। भाजपा यदि अकेले चुनाव लड़ती तो उसे हार का सामना करना पड़ता। इंडिया गठबंधन बिहार में भारी पड़ जाता है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद ही भाजपा ने साफ कर दिया था कि नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। समय-समय पर कुछ नेता मुख्यमंत्री को लेकर जरूर बयान देते रहते हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा नीतीश को किनारे कर देगी। यदि किनारे करने की भूल की तो भाजपा खुद किनारे हो जाएगी।
बिहार में नीतीश कुमार ही चेहरा हैं और यही नेतृत्व करेंगे। नीतीश जब तक चाहेंगे मुख्यमंत्री रहेंगे उनकी इच्छा से ही कोई दूसरा व्यक्ति मुख्यमंत्री हो सकता है।
लालू और तेजस्वी यादव को यह पता है कि नीतीश जब तक भाजपा के साथ रहेंगे तब तक राजद की सत्ता में वापसी नहीं होगी। इसीलिए लालू यह कह रहे हैं कि नीतीश के लिए हमारा दरवाजा खुला हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता मुख्यमंत्री को लेकर एक रणनीति के तहत ही भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि एनडीए में फूट पड़ जाए और इसका लाभ राजद को मिले।लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
लालू यादव की अंतिम इच्छा है कि वह अपने जीवन काल में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दें। लालू यादव चतुर राजनीतिज्ञ हैं। इसलिए वह बहुत सोच समझकर अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं। उनको पता है कि बिना नीतीश को साथ लिए तेजस्वी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। इसी कारण से ऐसी बयानबाजी हो रही है। मैं फिर कहता हूं कि इस बार बिहार में कोई बदलाव की राजनीति नहीं होगी। नीतीश कुमार भाजपा के साथ ही रहेंगे। मीडिया के साथी भी इस सच्चाई को समझ जाएंगे तो बेहतर होगा। बिहार में भ्रम की राजनीति पर रोक लगनी चाहिए। नीतीश पर विश्वास करने की जरूरत है। लालू परिवार की राजनीति चाल सफल नहीं होगी।