मुक्त करायेगे बच्चों घर जाने से किया इंकार, गरीबी, नक्सली और तस्करों को बताया वजह

रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने अपने आवास पर तस्करों से मुक्त कराई गई बच्चों से मुलाकात किया है और बच्चों सीएम को बताया कि उनसे दाई के साथ-साथ अन्य प्रकार का काम कराया जाता था और साथ ही कई प्रकार की यातना दिया जाता था. सभी बच्चों घर नहीं जाना चाहते.

राज्य सरकार रखेगी ख्याल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि नाबालिग बच्चों को राज्य सरकार प्रतिमाह दो हजार रुपये की आर्थिक मदद (Financial aid) बालिग होने तक करेगी. वहीं बालिग बच्चों को सरकार की ओर से रोजगार दिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने गरीबी, खेती, गांव और पीड़ा सब देखा है और इन लोगों के दुख से परिचित हैं. उन्होंने कहा कि जो बच्चे आगे के पढ़ाई करना चाहते हैं. उसकी व्यवस्था राज्य सरकार करेगी. जो बच्चे काम या घर जाना चाहते हैं. उन्हें घर तक राज्य सरकार (State government) पहुंचायेगी.
वर्षों से मानव तस्करी का दंश झारखण्ड झेलता आ रहा है। आज दिल्ली से रेस्क्यू करा कर झारखण्ड वापस लायी गई बच्चियों से मिला। यह एक भावुक पल था। सभी बच्चियों को हरसंभव मदद पहुँचायी जा रही है।
आपका भाई, और आपकी सरकार महिला एवं बाल उत्थान के लिए प्रयत्नशील हो कार्य कर रही है। pic.twitter.com/LjxQbD9QkB— Hemant Soren (घर में रहें – सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) November 7, 2020
44 बच्चों को लाया गया वापस
आपको बता दें कि झारखंड के अलग-अलग हिस्सों से तस्करों ने इन बच्चों को दिल्ली में बेचा दिया था. 66 बच्चों को विभिन्न तस्करों से मुक्त कराया गया. यह सभी बच्चे पिछले एक साल से दिल्ली के विभिन्न बालगृह में रह रहे थे. राज्य सरकार की मदद से फिलहाल 44 बच्चों को दिल्ली से एअरलिफ्ट करा कर वापस राज्य लाया गया है. सरकार इन बच्चों को काउंसलिंग कर इनकी इच्छा के मुताबिक इन्हें शिक्षा, घर पहुंचाना, रोजगार (Education and employment) से जोड़ने के काम करेगी.
तस्करों से मुक्त कराई गई अंकिता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि पढ़ाई के नाम नाम पर तस्करों ने दिल्ली ले गया. और वहां बेच दिया. जिस घर में वह रह रही थी. वहां दाई का काम कराया जा रहा था साथ ही शारीरिक और मानसिक पीड़ा दिया जा रहा था.