एनआइए की रडार पर झारखंड के दो जिला, खोजी जा रही है आतंक से संबंध
रांचीः राष्ट्रीय जांच एंजेसी (NIA) द्वारा देश के दो राज्यों केरल और पश्चिम बंगाल में की गई छापेमारी से 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन सभी से पूछताछ जारी है और देश भर में इनसे जुड़े लोगों की तलाश है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड राज्य भी एनआईए के रडार पर है. आपको बाते दें कि राज्य के दो जिला रांची और जमशेदपुर की तार आतंकियों सरगना से हमेशा जुड़ता रहा है.
दानिश का नाम पहले आया था
बता दें कि पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर जिला का सीमा सटा हुआ है. जिसके कारण अलकायदा आतंकवाद का पनाहगाह जमशेदपुर रहा है. इस कारण लौहनगरी में एक बार फिर आतंक से संबंध रखने वाले की तलाश जारी है. वहीं इस मामले में रांची भी पिछे नहीं है. अबतक यहां से 10 आतंकिये को गिरफ्तार किया जा चुका है. सबसे पहले रांची का नाम तब उछला था, जब बड़ोदरा में जून 2011 में रांची के बरियातू निवासी दानिश की गिरफ्तारी हुई थी. इससे पूर्व रांची में आतंकी कनेक्शन सामने नहीं आया था. दानिश के बाद रांची के बरियातू के ही मंजर इमाम और उसके बाद आठ अन्य युवकों की आतंकी गतिविधियों में एनआइए गिरफ्तार कर चुकी है.
2002 में आया था पहला मामला
वहीं अगर जमशेदपुर जिला की बात करें तो सबसे पहले 2002 में आतंकी तार जुड़े होने की जानकारी तब मिली थी जब दिल्ली के अंसल प्लाजा में मुठभेड़ में मारे गए आतंकी शाहनवाज के पास से जमशेदपुर के मानगो के जवाहर नगर का पता वाला लाइसेंस मिला था. उसके बाद मानगो, आजादनगर और कपाली से आतंकी पकड़े गए हैं. झारखंड एटीएस की टीम का इस इलाके में आना-जाना होता है. झारखंड में अलकायदा का प्रमुख अबु सुफियान है, जो चतरा का रहने वाला है. वह पाकिस्तान में ट्रेनिंग भी ले चुका हैं. यह जानकारी एटीएस को बीते वर्ष जमशेदपुर से पकड़े गए कलीमुद्दीन ने दी थी. आजादनगर के दो युवक फरवरी 2007 में आतंकी संगठन से जुड़े होने के आरोप में पकड़े गए थे जिनकी गतिविधि बंगाल से जुड़ी थी. बंगाल से आतंकियों के पकड़े जाने के बाद जमशेदपुर एक बार फिर एनआइए की रडार पर हैं.
सीरियल बम ब्लास्ट में आया था नाम
वर्ष 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट में जांच के दौरान एनआइए को यह जानकारी मिली थी कि इस घटना में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है. इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों में दो आतंकियों के रांची के होने की बात सामने आई थी, जिसमें एक का नाम दानिश और दूसरे का नाम मंजर इमाम बताया गया था. यह भी बताया गया था कि बरियातू क्षेत्र में दानिश का घर है. अंतत: जून-2011 में दानिश रियाज उर्फ शॉकिन उर्फ अफाक इकबाल को एनआइए की विशेष टीम ने बड़ोदरा में गिरफ्तार कर लिया था. बरियातू का दानिश हैदराबाद में एक आइटी कंपनी में कार्यरत था.
2013 में आया था आतंकी कनेक्शन का नाम
अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने जब दानिश के ई-मेल को खंगाला तो पता चला था कि दानिश ने रांची के इमामुद्दीन नामक व्यक्ति के सहयोग से रांची के 24 युवाओं को इंडियन मुजाहिदीन से जोड़ा था. दानिश को यह जिम्मा इंडियन मुजाहिदीन का सरगना अब्दुल सुभान उर्फ तौकिर ने दिया था. दानिश पर आरोप है कि वह पहले आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का हिस्सा था. अहमदाबाद बम धमाके के समय वह इंडियन मुजाहिदीन के अब्दुल सुभान उर्फ तौकिर के संपर्क में आया था. दानिश के सबसे करीबियों में मंजर इमाम का नाम सामने आया था. 4 मार्च 2013 को मंजर इमाम भी पकड़ा गया था. इसके बाद रांची में एक के बाद एक आतंकी कनेक्शन सामने आने लगे.
गया ब्लास्ट के बाद सुर्खियों में रहा रांची
गया के बाद पटना के सीरियल बम ब्लास्ट में रांची की आतंकी गतिविधियां खुलकर सामने आई और अंतत: राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम रांची में ही कैंप करने लगी. पटना के गांधी मैदान में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की सभा में सीरियल बम ब्लास्ट के बाद रांची सुर्खियों में आ गया था. यहां एक के बाद एक कर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त आठ युवक दबोचे गए थे, जिनका पटना व गया ब्लास्ट कनेक्शन मिला था.
कब-कब कौन-कौन धराए रांची से
- जून-2011 : रांची के बरियातू का दानिश रियाज उर्फ शाकिन उर्फ अफाक इकबाल को बड़ोदरा में पकड़ा गया था। वह हैदराबाद में एक आइटी कंपनी में कार्यरत था।
- 04 मार्च 2013 : रांची के बरियातू का मंजर इमाम उर्फ जमील उर्फ अबू हनीफा कांके थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। वह बरियातू थाना क्षेत्र के मदीना मस्जिद के समीप हाउस नंबर 241 का निवासी है। उसकी गिरफ्तारी कांके के सीआइपी इलाके से हुई थी।
- 27 अक्टूबर 2013 : पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान सीरियल बम ब्लास्ट के बाद पटना में ही मोहम्मद इम्तियाज व मोहम्मद तारिक पकड़ाया था। मोहम्मद तारिक विस्फोट में जख्मी हो गया था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। दोनों रांची के धुर्वा के सिठियो गांव के रहने वाले हैं।
- 30 अक्टूबर 2013 : डोरंडा के मनीटोला स्थित फिरदौस नगर से उज्जैर अहमद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था। उसपर कुख्यात आतंकी यासिन भटकल का सहयोगी होने का आरोप है।
- 21 मई 2014 : प्रदेश में चार धराए। पटना ब्लास्ट के बाद फरार चल रहे सिठियो गांव के दो अन्य युवक नुमान उर्फ नोमान व मोहम्मद तौफिक के अलावा ओरमांझी के चकला गांव का मुजिबुल्ला व इरम लॉज में मुजिबुल्ला का रूम पार्टनर हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी शामिल था।
- वर्ष 2012 में धुर्वा के एचईसी कॉलोनी से भी एक युवक पकड़ा गया था, जिसपर आतंकी संगठन से संलिप्तता का आरोप था।
कब-कब कौन-कौन धराए जमशेदपुर से
- 21 सितंबर 2019-झारखंड एटीएस ने आतंकी मानगो निवासी कलीमुद्दीन को टाटानगर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया। जेल में बंद हैं।
- नौ अगस्त 2017- अलकायदा के संदिग्ध आतंकी आजादनगर निवासी जीशान अली को दिल्ली की स्पेशल टीम ने गिरफ्तार किया था। उसके भाई अर्सियान का अब तक पता नहीं चला। दोनों भाई को अब्दुल रहमान कटकी ने देश से बाहर भेजा था। जीशान अली की शादी बंगलुरू में एक डॉक्टर की बहन से हुई थी। जीशान तिहाड़ जेल में हैं।
- 18 जनवरी 2016- जमशेदपुर के धतकीडीह निवासी अब्दुल समी को हरियाणा से दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार। तिहाड़ जेल में बंद हैं।
- जनवरी 2016 को जमशेदपुर के धातकीडीह से मसूद और अख्तर गिरफ्तार, हथियार बरामद।
- 17 दिसंबर 2015- दिल्ली के सीलमपुर से अलकायदा के भारत प्रमुख मोहम्मद आसिफ को गिरफ्तार किया गया था। आसिफ की बहन जमशेदपुर में रहती है। वो बहन से मिलने दो बार जमशेदपुर आया था।
- 16 दिसंबर 2015- ओडिशा पुलिस ने अलकायदा आतंकी अब्दुल रहमान कटकी को गिरफ्तार किया था। उसने कबूला कि जमशेदपुर में वो कई युवकों को प्रशिक्षित कर चुका था। तिहाड़ जेल में हैं।
- अक्टूबर 2014- एटीएस ने पश्चिम बंगाल के वद्धर्मान में हुए बम विस्फोट मामले में जमशेदपुर के आजाद नगर से शीश महमूद नामक शख्स को गिरफ्तार किया था। एटीएस के अनुसार महमूद जमात उल मुजाहिदीन का सदस्य था।
- 27 अक्टूबर 2013- पटना में हुए ब्लास्ट में एनआइए ने जमशेदपुर से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था
- पांच जून 2011- मध्य प्रदेश एटीएस ने मानगो के जाकिर नगर रोड नंबर 13 वेस्ट में दो मंजिला मकान में छापामारी कर इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी अबू फैजल और इरशाद को एक महिला के साथ गिरफ्तार किया था।
- 2006- कोलकाता से आई टीम ने अमेरिकन सेंटर में हुए हमले के आरोप में एन मोहम्मद को गिरफ्तार किया था। कोर्ट में मामला साबित नहीं हो सका और आरोपित छूट गए।