कल होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जाने पूजा विधि व मंत्र एवं पीले रंग का महत्व

माता पार्वती के ब्रह्मचारी रूप की होती है इस दिन पूजा

कल होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जाने पूजा विधि व मंत्र एवं पीले रंग का महत्व
माता ब्रह्मचारिणी

इस समय शारदीय नवरात्र चल रही है. 4 अक्टूबर को मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाएगी. पुरानों के अनुसार नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वधिष्ठान चक्र में स्थित होता है.

रांची: नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप को समर्पित होता है. मां का ये स्वरूप अत्यंत तेजवान और भव्य है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. मां ब्रह्मचारीणी को देवी पार्वती के अविवाहित रूप में पूजा जाता है. मां सफेद वस्त्र धारण करती है.उनके दाहिने हाथ में एक रुद्राक्ष की माल होती है और बाएं हाथ में कमंडल (पानी का एक बर्तन) होता है.

रुद्राक्ष को उनके वनवासी जीवन में भगवान शिव को पति के रूप में पाने की तपस्या से जोड़कर देखा जाता है.नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वधिष्ठान चक्र में स्थित होता है. मां ब्रह्मचारिणी भगवान शिव को पति के रूप मे पाने के लिए 1000 साल कठोर तप  की थी. इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी एवं तपस्चारिणी कहा गया. मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखने वाली हैं. मां ब्रह्मचारिणी का पूजा करने से आलस्य,अहंकार,लोभ,असत्य,स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्टप्रवृतियां दूर हो जाती हैं. इस दिन मां की पूजा करने से बुद्धि,विवेक,धैर्य, एकाग्रता,और स्थिरता आती है. 

पीले रंग का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी पीला रंग बहुत प्रिय है इसलिए माता की पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए. साथ ही पीले रंग के वस्त्र और फूल अवश्य अर्पित करने चाहिए. पीला रंग मां के पालन-पोषण करने वाले स्वभाव को दर्शाता है. साथ ही यह रंग सीखने और ज्ञान का संकेत है और उत्साह, खुशी और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है.

पूजा विधि 

इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर ले, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर पवित्र कर लें. मां का गंगाजल, पंचामृत, हल्दी,  कुमकुम से स्नान करने के बाद माँ का सिंगार करना चाहिए. अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें. मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें. प्रसाद के रूप में फल और नैयवेद चढ़ाएं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग के फूल का ही प्रयोग करें. माता को दूध से बनी चीजें या चीनी का ही भोग लगाएं. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें. 

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पूजा मंत्र 

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

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दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा.

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Edited By: Subodh Kumar

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