झारखंड के पर्यटन की असीम सम्भावनाओं को मूर्त रूप देने की कवायद

◆ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नई दिल्ली में पर्यटन नीति-2021 का किया शुभारंभ

रांची : झारखंड को हमेशा खनन के नजरिये से देखा गया। इस राज्य को आकर्षण के नजरिये से दुनिया देखे, यही हमारा लक्ष्य है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी दिल्ली में झारखंड पर्यटन नीति-2021 का शुभारंभ करते हुए ये बातें कही। उन्होंने कहा कि यहाँ के जल, जंगल, पहाड़, झरने, नदियों में पर्यटन के दृष्टिकोण से असीम संभावनाएं हैं। आप देखेंगे राज्य की उसी लक्ष्य को प्रतिबिम्बित करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड जितना संपन्न जमीन के अंदर है, उतना ही संपन्न जमीन के ऊपर हैं. यहां के जमीन के नीचे तो सभी ने सर्वे कर लिया, लेकिन यहां के खूबसूरत मनोरम दृश्य को शायद किसी ने आज तक बहुत करीब से नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि पर्यटन नीति तो हमने लोगों ने बना दी, लेकिन हम लोगों की यात्रा यहीं पर खत्म नहीं होती है। मैं समझता हूं अगर पर्यटक की यात्रा झारखंड में प्रारंभ हुई है तो पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पर्यटक के पैर कभी नहीं रुक सकते, क्योंकि हर मोड़ पर, हर चौराहे पर यहां एक से बढकर एक खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं, जो सैलानियों को लुभाएंगे।
झारखंड को देखने का बदल रहा नजरिया : मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों में झारखंड को देखने का नजरिया बदल रहा है। इस राज्य में कई अनोखी चीजें हैं, जो हर लिहाज से अध्ययन औऱ शोध के साथ देखने योग्य् है। साहिबगंज जिले के मंडरों में फॉसिल पार्क का हाल ही में उद्घाटन हुआ है। इसका इतिहास लगभग पन्द्रह करोड़ साल पुराना है। यह मानव जीवन के उत्पति के इतिहास को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक समुद्र से पहली बार भूमि सिंहभूम में ही बाहर आयी थी। यह लगभग 350 करोड़ वर्ष पुराना है। जहां आज बड़े पैमाने पर आयरन अयस्क पाए जाते हैं। नई पर्यटन नीति के माध्यम से इसे देश-दुनिया के सामने रखने का प्रयास किया जा रहा है।
नेतरहाट जैसा कोई नहीं : मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लुभावने और सुंदर दृश्यों को देखने के लिए दूसरे राज्यों के हिल स्टेशन जाकर हजारों-लाखों रुपए खर्च करते हैं. वैसा ही दिल को सुकून देने वाला मनोरम दृश्य नेटरहाट के वादियों में देखा जा सकता है. नेतरहाट में जंगलों और खूबसूरत वादियों को देखकर आपको लगेगा कि यह किसी भी मामले में अन्य जगहों से कम नहीं है। नेतरहाट में पर्यटन को भी अलग रुप देने का प्रावधान नई पर्यटन नीति में है।
पर्यटक स्थलों का सौंदर्यीकरण, सैलानियों को मिलेगी सभी जरूरी सुविधाएं : मुख्यमंत्री ने कहा कि नई पर्यटन नीति में पर्यटन के विकास के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। धार्मिक पर्यटन के तहत देवघर, पारसनाथ, मधुबन और इटखोरी जैसे धर्मिक स्थलों में नागरिक सुविधाएं प्रदान करने और उनके सौंदर्यीकरण किया जाएगा वहीं, इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने एवं और पर्यटन गतिविधियों को प्रकृति के साथ जोडते हुए लातेहार-नेतरहाट-बेतला, चांडिल-दलमा-मिर्चैया-गेटेलसुद इको-सर्किट के विकास का कार्य हो रहा है। इन जगहों पर पर्यटकों के रहने के लिए रेस्ट हाउस की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।
झारखंड की वैभवशाली संस्कृति का अनुभव राज्य की जीवंत और विविध संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए फ़ूड फेस्टिवल, इंटर स्टेट कल्चरल प्रोग्राम आयोजित करने पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण पर्यटन की क्षमता को बढ़ाने के लिए चिन्हित गांवों का सौन्दर्यीकरण, स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा, ग्रामीण जन जीवन को बढ़ावा देना शामिल है। इस संबंध में ग्राम पर्यटन समितियों (वीटीसी) और ग्रामीण पर्यटन उपसमिति का गठन किया जाएगा।
खनन पर्यटन में संभावनाएं तलाशने की कोशिश : मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की खनिज संपदा को प्रदर्शित करने के लिए नीति के तहत खनन पर्यटन के ज़रिए संभावनाओं को तलाशा जायेगा, जो अपने आप में एक नई खोज है। उन्होंने कहा कि नई पर्यटन नीति में एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों जैसे पैराग्लाइडिंग, वाटर स्पोर्ट्स, रॉक क्लाइम्बिंग, ग्लाइडिंग आदि को बढ़ावा देने का कार्य होगा। वाटर स्पोर्ट्स के लिए तिलैया, मसनजोर, चांडिल, पतरातू, गेतालसूद, केलाघघ, कांके, हटिया जैसे डैम को विकसित करने की योजना है। वीकेंड गेटअवे टूरिज्म के माध्यम से छुट्टी की तलाश करने वालों के लिए झारखंड रोमांचक पड़ाव बनेगा।