तेलंगाना में अब भी फंसे हैं हजारों झारखंडी, गिरिडीह के जूस बेचने वालों ने सुनाया दुखड़ा

- गिरिडीह के करीब 15 हजार लोग हैदराबाद में फंसे हैं
- श्रमिकों ने सुनाया अपना दुखड़ा, कहा – पैसे-अनाज खत्म, गैस की भी दिक्कत
समृद्ध संवाददाता
रांची : तेलंगाना से झारखंड के लिए चली पहली विशेष ट्रेन से 1128 श्रमिक कल देर रात रांची के हटिया स्टेशन पहुंचे. इनमें अकेले दो तिहाई पलामू प्रमंडल के तीन जिलों पलामू, गढवा व लातेहार के हैं. सबसे अधिक 470 श्रमिक गढवा जिले के हैं. उसके बाद 281 श्रमिकों के साथ पलामू जिला दूसरे नंबर पर है. बाकी जिलों के श्रमिकों की संख्या दो या एक अंक में है.
इन श्रमिकों के आने के बाद अब दूसरे जिलों के अन्य श्रमिक यह मांग जोर-शोर से उठा रहे हैं कि उन्हें जल्द वापस गृह प्रदेश ले जाया जाये. गिरिडीह जिले के देवरी, तिसरी, राजधनवार आदि प्रखंडों के लोग बड़ी संख्या में तेलंगाना में हैं. इनमें से अधिकतर हैदराबाद व दूसरे प्रमुख शहरों में जूस का कारोबार करते हैं. इनकी मांग है कि इन्हें घर ले जाने के लिए भी विशेष ट्रेन या बस की व्यवस्था की जाए.
हैदराबाद में फंसे गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के जमखोरी ग्राम पंचायत के रहने वाले अनिल यादव ने समृद्ध झारखंड से कहा: चार महीने पहले वे हैदराबाद आए थे, गर्मियां चढ रही थीं तो उन्हें व उनके अन्य साथी जूस विक्रेताओं को यह उम्मीद थी कि वे इन तीन चार महीनों में अच्छी कमाई कर लेंगे, लेकिन तबतक कोरोना महामारी फैल गयी और लाॅकडाउन हो गया. वे कहते हैं कि तीन-चार महीने के उनकी कमाई का मुख्य महीना होता है और इसी दौरान बीमारी फैली जिससे उन्हें काफी दिक्कत हो रही है.
अनिल यादव बताते हैं कि वे 25 लोग हैं और दो छोटे कमरे व एक हाॅल में रह रहे हैं. सभी गिरिडीह के हैं जो वहां जूस बेचने का काम करते हैं या एकाध ठेले-पटरी पर कोई दूसरा काम करता है. अनिल के अनुसार, तेलंगाना सरकार से कुछ दिन पहले 10 किलो चावल व 500 रुपये की मदद मिली थी जो अब खत्म हो गया. कमरे में खाने-पीने की चीजें भी कम ही बचीं हैं और पैसे भी खत्म हो गए हैं, इससे भविष्य में क्या खाएंगे इसकी चिंता है. वे कहते हैं कि रसोई गैस भरवाने में भी दिक्कत होती है.
अनिल व उनके दूसरे साथी हैदराबाद के उप्पल इलाके में रहते हैं, जहां से सिकंदराबाद स्टेशन नजदीक है. वहीं कल हैदराबाद के जिस स्टेशन से झारखंड के लिए पहली स्पेशल ट्रेन चली वह 50 किलोमीटर दूर है. वे कहते हैं कि हमलोग वहां जा भी नहीं पाते क्योंकि पुलिस रास्ते में रोकती. अगर सिकंदराबाद से स्पेशल ट्रेन हमारे लिए खोली जाती है तो हमें सुविधा होगी. अनिल को यह बताने पर कि बिना पास के वे ट्रेन में नहीं बैठ पाते वे इसे स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि इसलिए उन्होंने आज ही अपने साथियों के साथ आज नजदीक के पुलिस स्टेशन में सभी का नाम, पता व फोन नंबर लिखवा दिया है और झारखंड जाने की इच्छा बतायी है. ताकि सरकार के किसी आदेश पर हमें मदद मिली और हमारे लिए ट्रेन या बस का प्रबंध किया जाए.
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वे बेहद आग्रही होकर मदद की गुहार लगाते हैं और कहते हैं कि किसी तरह सरकार तक हमारी बात पहुंचा दीजिए ताकि हमें कुछ मदद मिले और हम घर पहंच जाएं.
सात हजार रुपये के दो कमरे के छोटे से घर में 25 लोग हैं और यह खैरियत है कि मासिक सात हजार रुपये किराये के लिए मकान मालिक ने उन्हें तगादा नहीं किया है. उनके साथ राजेश, पिंटू, सूरज, अनिल आदि हैं. एक ही नाम के दो व तीन लोग भी हैं. इनकी आयु 20 से 35 साल के बीच है. अनिल खुद 2005 से हैदराबाद में रहते हैं.
उधर, विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि उन्हें वहां फंसे लोगों से जानकारी मिली है कि वहां करीब 15 हजार लोग गिरिडीह जिले के फंसे हुए हैं. उन्होंने मजदूरों को लाने के लिए बनाए गए पैमाने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री खुद इस पर विचार करें. बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मजदूरों को लाने में किसी प्रकार के भेदभाव व क्षेत्रीयता की कोई जगह नहीं है. राज्य के लिए सभी मजदूर समान हैं. बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि उन मजदूरों का आग्रह है कि जो मजदूर खुद आने में सक्षम हैं, उन्हें सरकार द्वारा इसके लिए अविलंब पास उपलब्ध कराया जाए. उन्होंने कहा है कि उनके लिए वहां एक-एक पल गुजारना मुश्किल हो रहा है.