Hazaribagh News: झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग गठन की स्वीकृति

यह विस्थापितों की ऐतिहासिक जीत है: रोशन लाल चौधरी

Hazaribagh News: झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग गठन की स्वीकृति
रोशन लाल चौधरी

उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में यदि आयोग की कार्यप्रणाली में कोई ढिलाई या लापरवाही पाई गई, तो वे पुनः सदन और सड़क पर विस्थापितों की आवाज़ बुलंद करेंगे।

हजारीबाग: राज्य मंत्री परिषद की बैठक में झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन की स्वीकृति दी गई है। यह निर्णय केवल एक आयोग के गठन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन तमाम आदिवासी, मूलवासी, किसान, मज़दूर, भूमिहीन परिवारों के जीवन संघर्ष की स्वीकृति है, जो वर्षों से विकास के नाम पर उजड़ते आए हैं और जिनकी समस्याएँ लगातार अनसुनी की जाती रही हैं झारखंड राज्य के लाखों विस्थापित परिवारों के संघर्ष की ऐतिहासिक जीत का प्रतीक है उक्त आशय की जानकारी बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है। श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने पहली बार 18 मार्च 2025 को हजारीबाग जिला के पकरी बरवाडीह, केरेडारी, चट्टी-बरियातू सहित विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित विस्थापितों की समस्याओं को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना दी थी। उस समय  स्पष्ट रूप से कहा था कि जब तक राज्य स्तर पर विस्थापन आयोग का गठन नहीं होगा, तब तक विस्थापितों की पीड़ा का समाधान संभव नहीं है।

इसके बाद बजट सत्र के अंतिम दिन 27 मार्च 2025 को उनके गैर-सरकारी संकल्प पर विस्तृत बहस हुई। बहस के क्रम में सरकार ने विधानसभा के पटल पर यह ठोस आश्वासन दिया कि 90 दिनों के भीतर आयोग का गठन किया जाएगा। परंतु दुर्भाग्यवश 150 दिन बीत जाने के बाद भी आयोग अस्तित्व में नहीं आ सका। एक बार फिर मॉनसून सत्र के पहले ही दिन ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित कराया और विस्थापित परिवारों की पीड़ा को मजबूती से सदन में उठाया। निरंतर दबाव और विस्थापितों की अपेक्षाओं को देखते हुए अंततः राज्य मंत्रिपरिषद ने आयोग गठन की ऐतिहासिक स्वीकृति प्रदान कर दी।

विस्थापितों के लिए राहत और उम्मीद

विधायक ने कहा कि यह आयोग केवल एक संस्थागत ढाँचा नहीं होगा, बल्कि यह विस्थापितों की न्याय और सम्मान की गारंटी बनेगा। विस्थापितों की समस्याएँ केवल ज़मीन छिन जाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह उनके अस्तित्व, संस्कृति, आजीविका और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ी हुई हैं। आयोग के गठन से अब यह उम्मीद जगी है। 

जिसमें पहला - पारदर्शी मुआवज़ा नीति बनेगी, जिससे हर प्रभावित परिवार को ज़मीन, घर और रोजगार का न्यायोचित अधिकार मिलेगा।

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दूसरा- पुनर्वास नीति को मज़बूत बनाया जाएगा, ताकि विस्थापितों को सुरक्षित आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन यापन की गारंटी मिल सके।

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तीसरा - रोज़गार के अवसर सुनिश्चित होंगे, जिससे युवा पीढ़ी बेरोज़गारी और पलायन के शिकार न बने।

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चौथा- भूमिहीन एवं आदिवासी परिवारों को उनकी परंपरागत जीवनशैली और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान बचाने का अधिकार मिलेगा।

पांचवा- आयोग पूरे राज्य में विभिन्न परियोजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण और अध्ययन कर ठोस रिपोर्ट तैयार करेगा और समयबद्ध समाधान प्रस्तुत करेगा।

छठा- वर्षो से गैर मजूरआ जमीन पर भी जोत आबाद और दखल वाले रैयतो को उनके अधिकारो का मार्ग परसस्त होगा।

सरकार को धन्यवाद और विस्थापितों से अपील

श्री चौधरी ने राज्य सरकार को इस महत्वपूर्ण कदम के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह निर्णय सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों का आभार व्यक्त  किया -कहा कि यह आयोग तभी सफल होगा जब इसमें सच्चे प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और जमीनी अनुभव वाले लोग शामिल किए जाएंगे। श्री चौधरी ने विस्थापित भाइयों और बहनों से अपील की कि वे इस ऐतिहासिक उपलब्धि को केवल एक घोषणा के रूप में न देखें, बल्कि इसे अपने अधिकार की जीत मानते हुए आगे भी संगठित रहकर आयोग के कार्यों पर नज़र रखें। आगे कहा कि वे विस्थापितों की आवाज़ को लगातार सदन से सड़क तक उठाते रहेंगे। उनका संकल्प है कि विस्थापितों के बिना विकास अधूरा है और जब तक प्रत्येक विस्थापित को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में यदि आयोग की कार्यप्रणाली में कोई ढिलाई या लापरवाही पाई गई, तो वे पुनः सदन और सड़क पर विस्थापितों की आवाज़ बुलंद करेंगे। आयोग गठन से यह उम्मीद है कि झारखंड में होने वाले नए औद्योगिक, ऊर्जा, खनन और बुनियादी ढाँचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में अब मानव केन्द्रित विकास की अवधारणा लागू होगी। विकास परियोजनाएँ अब विस्थापन और शोषण का पर्याय नहीं, बल्कि समान अवसर और न्यायपूर्ण पुनर्वास का माध्यम बनेंगी। विस्थापितों को केवल पीड़ित के रूप में नहीं, बल्कि विकास के साझेदार के रूप में देखा जाएगा। आयोग की रिपोर्टों और सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार ठोस नीतिगत निर्णय लेगा । 
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आयोग के अस्तित्व में आने के बाद विस्थापन, पुनर्वास, रोजगार और मुआवज़े जैसी ज्वलंत समस्याओं का स्थायी समाधान संभव होगा। यह जीत विस्थापितों की है, उनका संघर्ष रंग लाया है, और अब समय है कि हम सब मिलकर न्यायपूर्ण और संवेदनशील झारखंड की दिशा में आगे बढ़ें।

Edited By: Hritik Sinha

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