हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, पूछा – गुटखा है प्रतिबंध तो फिर बिक्री कैसे
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रांची : बीते दिन 9 अक्टूबर (9 October) शुक्रवार को चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए सुनवाई की. जिस दौरान जनहित याचिका पर गुटखा प्रतिबंध (Restriction) के बावजूद उसकी हो रही बिक्री को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई गई.
हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य सरकार से पूछा कि झारखंड के किस हिस्से में गुटका नहीं मिलता है? कौन सा ऐसा हिस्सा है जो गुटका मुक्त है? जवाब ना मिलने पर आगे पूछा कि राजधानी के बारे में ही बता दीजिए कि कौन सा मोहल्ला या इलाका गुटका मुक्त बन गया है? सवालों के क्रम जारी करते हुए आगे सरकार से पूछा कि कानून का उल्लंघन होने पर कितने लोगों को दंडित किया गया है? गुटखा की बिक्री रोकने के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं? साथ ही कहा कि जिन स्थानों पर गुटका बनाया जाता है वहां से झारखंड में गुटखा के ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) को रोक लगाना है.
सवालों की झड़ी को जारी रखते हुए पूछा कि प्रतिबंधित जगहों पर भी जहां बिक्री हुई है वहां प्रतिनियुक्त अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है? खंडपीठ ने कहा कि बोगस जवाब की आवश्यकता नहीं है. गुटखा पर प्रतिबंध है तो वह पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
बता दें प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुष्मिता लाल ने पैरवी की. जबकि राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखते हुए बताया कि वर्ष 2017 से गुटखा पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिसे आगे बढ़ाते हुए 2021 तक कर दिया गया. जानकारी के अनुसार प्रार्थी फरियाद फाउंडेशन की ओर से अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने जनहित में याचिका दायर की है.
खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार ऐसे कानून क्यों बनाती है जिसे वह पालन ना करा पाए. खंडपीठ ने 16 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर फूड सेफ्टी (Food Safety) विभाग के सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
Edited By: Samridh Jharkhand