कविता: है डूबना जिसका मुक्कदर
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धूप की चादर ओढ़ें

जुगनू मन के पंखो पर
करार तलाशा करते हो।
जो कही नहीं वो बात
की चाल तलाशा करते हो
आँखों के गलियारों में
हाल तलाशा करते हो।
कई मुद्द्ते बीत गईं
सवालों की तलाश में
राहगीर थक हार अब
जवाब तलाशा करते हो।
है डूबना जिसका मुक्कदर
क्यों है सहारे की तलाश में
समुंदर में पाँच रख
आकाश तलाशा करते हो।
-गरिमा सिंह
Edited By: Samridh Jharkhand