सरयू राय ने CM हेमंत को लिखा पत्र, बोले – कुणाल व ‘रघुवरवादियों’ के मुझ पर लगाए आरोपों की कराएं जांच

रांची : झारखंड के प्रमुख राजनीतिक शख्सियत व जमेशदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिख कर भाजपा नेताओं के एक तबके द्वारा खुद पर लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराने की मांग की है। सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल सारंगी और रघुवर वादियों रघुवर दास के समर्थकों द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच करायी जाए ताकि सच सामने आ सके।

.@HemantSorenJMM जी, श्री कुणाल सारंगी ने कल मुझ पर दो आरोप लगाया है, कि मंत्री रहते मैंने अपने विभाग में कतिपय अनियमितता किया है.इसकी त्वरित जाँच किसी भी सक्षम एजेंसी से करा लिया जाय. दोषी पाये जाने पर मैं सजा भुगतने के लिये तैयार हूँ. pic.twitter.com/qrF5OT18v4
— Saryu Roy (@roysaryu) March 27, 2021
उन्होंने लिखा है कि मैंने इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को प्रस्ताव भेज दिया कि सीबीआइ उनके अधीन है और वे इसकी जांच करा दें। ये लोग इससे असंतुष्ट हैं और कहा कि अमित शाह को पत्र नहीं लिख कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस संबंध में कहना चाहिए।
सरयू राय ने कुणाल सारंगी द्वारा लगाए गए आरोपों का पत्र में बिंदुवार उल्लेख किया है और उस संबंध में अपना पक्ष रखते हुए जांच कराने का आग्रह किया है। सरयू राय ने लिखा है कि मुझ पर आरोप लगाया गया कि मेरे मंत्री रहते खाद्य आपूर्ति विभाग को डाटा कालिंग के लिए बाबा कंप्यूटर को बहाल किया, जिसकी दर काफी उंची थी। यह दर 80 पैसा प्रति काॅल थी, जबकि सूचना प्रसारण विभाग में यह काम 10 पैसा प्रति काॅल किया जा रहा था।
सरयू राय ने लिखा है कि इस आरोप का जवाब बाबा कंप्यूटर्स ने खुद दिया है कि निविदा के आधार पर उनकी बहाली हुई थी और वे नगर विकास विभाग जिसके मंत्री सीपी सिंह थे और सूचना विभाग जो सीधे मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास था, उसका भी काम निविदा के आधार पर कर रहे थे। इन सभी विभागों के काम की दर करीब-करीब बराबर थी।
सरयू राय ने कहा है कि उन्होंने मुझ पर दूसरा आरोप यह लगाया कि मार्केटिंग अफसर सुनील शंकर की प्रतिनियुक्ति को लेकर लगाया है। राय ने कहा है कि सुनील शंकर को वे निजी तौर पर पटना के दिनों से जानते हैं लेकिन उनके सहित 15 अन्य लोगों की नियुक्ति निविदा के आधार पर रिटायरमेंट के बाद विभाग के पास कम कार्यबल के कारण की गयी थी। उन्होंने लिखा है कि फिर भी लगता है कि उनकी नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है और राजकोष का नुकसान हुआ है या अतिरिक्त बोझ पड़ा है तो इसकी जांच करायी जानी चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में यह उल्लेख किया है कि उनके मंत्री नहीं रहने के बावजूद वर्तमान सरकार ने भी उन्हें नियुक्त किया है।