जनसंवाद केन्द्र के संचालक से 36 GRC का नहीं चल पाया पता

- समृद्ध झारखंड ने जनसंवाद केन्द्र के संचालक से फोन पर की बात
- जनवरी माह से फंडिंग नहीं होने की कही बात
रांची: समृद्ध झारखंड ने कुछ दिन पहले सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और माइका एडुकेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए करार की खबर प्रकाशित की थी। उस करार के मुताबिक जनसंवाद केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में विभाग, प्रमंडल और जिला में कुल 60 शिकायत निवारण समन्वयकों की नियुक्ति की जानी थी। लेकिन सिर्फ 24 जिले में चौबीस शिकायत निवारण समन्वयकों की नियुक्ति की गई।

समृद्ध झारखंड के सदस्य ने इस संबंध में फोन कॉल के माध्यम से माइका एडुकेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सह जनसंवाद केन्द्र के संचालक संजय जैन से मामले की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि सभी जगहों के लिए शिकायत निवारण समन्वयकों की नियुक्ति की गई है। लेकिन जब उनसे विभाग के शिकायत निवारण समन्वयकों के संबंध में जानकारी ली गई, तो वो सीएमओ और प्रधान सचिव के यहां कार्यरत कर्मचारियों का हवाला देने लगे।
साथ ही डीटीपी ऑपरेटर्स को भी शिकायत निवारण समन्यक बता डाला। उन्होंने बताया कि करारनामे के मुताबिक मैन पावर की संख्या और स्थान में परिवर्तन करने का उल्लेख है। लेकिन सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि क्या एग्रीमेंट का अनुपालन किया गया? अगर एग्रीमेंट का अनुपालन किया गया होता, तो शेष 36 GRC में से कुछ लोगों का नाम संचालक के जुबान पर जरूर होता।
यह भी पढ़ें: बायोमैट्रिक उपस्थिति बनाने वाले कर्मचारियों को ही मिलता है वेतन: माइका
लेकिन उन्होंने तो 181 कंट्रोल रूम में कार्यरत शिकायत निवारण समन्वयकों (Compliance Experts) का जिक्र किया। जिनकी संख्या को उन्होंने बढ़ा कर 08 से 22 तक किया था। लेकिन आपको बताते चलें कि विश्वसनीय सूत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार Compliance Experts की नियुक्ति की गई थी या फिर संवाद एक्सपर्टस का प्रमोशन कर उन्हें Compliance Expert बनाया गया था।
जनसंवाद केन्द्र के संचालक की मानें तो मैन पावर के मामले में उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है। लेकिन अगर इन 36 GRC की नियुक्ति हुई है, तो पब्लिक डोमेन होने के कारण उन्हें इनकी सूची विभाग के सहयोग से सार्वजनिक करनी चाहिए। क्योंकि जनसंवाद केन्द्र में नवंबर, दिसंबर 2017 में एक साथ शिकायतों का बाढ़ नहीं आ सकता कि जिसके कारण Compliance Expert के आठ सदस्यीय टीम को अचानक 22 सदस्यीय कर दी जाए।
यह भी पढ़ें: जनसंवाद के संचालक संजय जैन ने चादर से अधिक पसारे पांव
अगर इन 36 GRC की नियुक्ति नहीं हुई है, तो एजेंसी और विभाग दोनों को इसकी लिखित रूप में जानकारी होनी चाहिए। अगर एजेंसी ने कोई फेरबदल किया है, तो इसकी औपचारिक घोषणा होनी चाहिए। ऐसे कई सवालों के बीच जनसंवाद केन्द्र उलझ चुका है। लेकिन इन 36 GRC की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
संजय जैन ने कहा कि 2017 में कुल चौंतीस विभागों के मामले को जनसंवाद देख रही थी। लेकिन सूत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र 30 और 31 विभागों के बीच उलझन में थी। इन्हीं 31 विभागों के मद्देनजर 31 शिकायत निवारण समन्वयकों की नियुक्ति की जानी थी। झारखंड राज्य में कुल पांच प्रमंडल हैं। जिनके प्रमंडलीय पदाधिकारियों के सहयोग के लिए कुल 05 प्रमंडलीय शिकायत निवारण समन्वयकों की नियुक्ति की जानी थी। लेकिन इस संबंध में स्पष्ट जानकारी अबतक नहीं मिल पा रही है।
यह भी पढ़ें: झारखण्ड: आखिर कौन हैं मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के 36 GRC?
फोन कॉल पर बात करते हुए संजय जैन ने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए विभाग से जनवरी 2020 से फंडिंग नहीं हुई है। जबकि समृद्ध झारखंड ने पूर्व के खबर से यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को 04 अप्रैल 2020 को वित्तीय वर्ष 2019-20 की संपूर्ण बकाया राशि कुल सात करोड़ पचहत्तर लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। लेकिन इसके बावजूद कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में कार्यरत कर्मचारियों को तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
नोट- विशेष परिस्थिति में समृद्ध झारखंड और संजय जैन के बीच हुए संवाद की ऑडियो साझा की जा सकती है।