झारखंड कल्याण की चिंता छोड़ परिवार कल्याण पर सिमटा झामुमो महाधिवेशन: प्रतुल शाह देव
ना घुसपैठ पर चिंतन और ना ही अधिकार पत्र पर हुई चर्चा
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प्रतुल ने कहा कि पूरे राज्य में विधि व्यवस्था पूरे तरीके से ध्वस्त है।ग्रामीण क्षेत्र में नक्सलियों की जगह संगठित आपराधिक गिरोह ले रहे हैं। शहर में प्रतिदिन हत्याएं हो रही हैं। आम जनता आतंकित है।प्रतुल ने कहा कि राज्य का कोई ऐसा विभाग नहीं है जहां भ्रष्टाचार व्याप्त नहीं है।ब्लॉक ऑफिस से लेकर सचिवालय तक बिना चढ़ावा के कोई काम नहीं होता। इन दोनों बड़े मुद्दों पर महाधिवेशन में चर्चा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है
रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आज झारखंड मुक्ति मोर्चा के महाधिवेशन पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि महाधिवेशन में झारखंड कल्याण को छोड़ सिर्फ परिवार कल्याण पर अमल किया गया। प्रतुल ने कहा भाजपा लंबे समय से कह रही थी कि झामुमो का अगला अध्यक्ष सोरेन परिवार से ही होगा। और हुआ भी वही। मुख्यमंत्री के पास बहुत बेहतर अवसर था कि वह अपने दल के किसी समर्पित वरिष्ठ कार्यकर्ता को अध्यक्ष बना सकते थे। लेकिन मुख्यमंत्री पद की बड़ी जिम्मेवारी होने के बावजूद भी उन्होंने किसी पर विश्वास करना उचित नहीं समझा। प्रतुल ने कहा कि परिवारवादी पार्टियों में यही होता है अध्यक्ष समेत तमाम प्रमुख पदों पर परिवार के ही सदस्यों को बैठाया जाता है।आम कार्यकर्ता को सिर्फ हाथ उठाने के लिए बुलाए जाते हैं।

प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने अधिकार पत्र में लंबे चौड़े और लुभावने वादे किए थे। इस अधिकार पत्र को किस तरीके से सरकार लागू करेगी, इस पर एक लाइन ना प्रस्ताव आया ना कोई चर्चा हुई।जबकि जनता ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को दोबारा सरकार में आने का अवसर इसी घोषणा पत्र के आधार पर दिया था।जाहिर है अधिकार पत्र का भी वही हश्र होने जा रहा है जो 2019 के निश्चय पत्र का हुआ था।वादे सिर्फ घोषणा पत्र पर ही सिमट कर रहने वाले हैं।
प्रतुल ने कहा कि यह महाअधिवेशन पूरे तरीके से हेमंत सोरेन जी को महिमा मंडित करने पर न्योछावर रहा। सभी वक्ताओं ने झारखंड के विकास पर सार्थक चर्चा करने की जगह सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री के तारीफ के पुल बांधा। प्रतुल ने कहा उम्मीद कानून (वक्फ बोर्ड संशोधन कानून) के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रस्ताव पारित करके स्पष्ट कर दिया कि उसके लिए उन गरीब मुसलमान का कोई अर्थ नहीं है जिन्हें इस कानून से शक्तियां मिल रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा सिर्फ कुछ मौलवी और मौलानाओ के इशारे पर इसका विरोध करती नजर आई।