झारखंड SSC में भोजपुरी व मगही को भी मान्यता देने के लिए मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सीएम हेमंत से की मुलाकात

रांची : गुरुवार (5-8-2021 )को झारखंड कैबिनेट द्वारा झारखंड एसएससी के लिए नयी नियुक्ति नियमावली को मंजूरी दिए जाने के बाद इस पर विवाद छिड़ा हुआ है। विवाद दो स्तरों पर है एक क्षेत्रीय भाषा के चयन को लेकर और दूसरा आरक्षण के प्रावधान को लेकर। इस मामले पर सोशल मीडिया पर लोग अपने सवाल उठा रहे हैं।
जेएसएससी की नयी नियुक्ति नियमावली में आरक्षण का लाभ पाने वाले वर्ग के अभ्यर्थियों को राज्य से परीक्षा उत्तीर्णता से छूट दी गयी है।

मगही, भोजपुरी, अंगिका आदि भाषाओं को भी जेएसएससी के अंतर्गत स्वीकृत क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने को लेकर आज माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें एक अनुरोध पत्र सौंपा।
माननीय ने विमर्श के उपरांत न्यायिक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।@HemantSorenJMM @JharkhandCMO pic.twitter.com/oReToOA0JF
— Mithilesh Kumar Thakur (@MithileshJMM) August 6, 2021
उन्होंने कहा है कि भोजपुरी व मगही को सूची में शामिल नहीं किए जाने से पलामू प्रमंडल के तीन जिलों एवं चतरा जिलों को एसएससी के जरिए सरकारी नियुक्तियों में समान अवसर नहीं मिल सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि भोजपुरी व मगही भाषा हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद, बोकारो में भी बोली जाती है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान भोजपुरी, मगही व अंगिका सहित अन्य भाषाओं की ओर इस सूची में शामिल करने के लिए आकृष्ट किया है, हालांकि पत्र में सिर्फ भोजपुरी एवं मगही का जिक्र है।
ध्यान रहे कि अंगिका भाषा संताल परगना के कई जिलों में प्रमुखता से बोली जाती है। ठाकुर ने कह है कि सिर्फ झारखंड से मैट्रिक व इंटर उत्तीर्ण छात्रांे को इसका लाभ मिलना है तो ऐसे में इसका लाभ उत्तरप्रदेश एवं बिहार के छात्र नहीं ले सकेंगे और नहीं बंगाल व ओडिशा के छात्र इसका फायदा ले सकेंगे।