दिल्ली का मिंटो रोड ब्रिज 29 दिनों में गिरने वाला ‘हमारा’ बनाया हुआ पुल नहीं है, पर हम तो पानी निकालने में भी नाकाबिल हैं…

दिल्ली का मिंटो रोड ब्रिज 29 दिनों में गिरने वाला ‘हमारा’ बनाया हुआ पुल नहीं है, पर हम तो पानी निकालने में भी नाकाबिल हैं…

 

नयी दिल्ली : जब हमारे देश के विस्तार व आकार के हिसाब से दूसरे श्रेणी के शहरों मसलन काशी को क्योटो और रांची को न्यूयार्क बनाने के सपने दिखाए जाते हों, तो ऐसे में देश के सबसे बड़े शहर दिल्ली की आज की तसवीरों ने हमारी चुनौतियों के कड़वे सच को सामने रख दिया. दिल्ली के कनाट प्लेस के मिंटो रोड पर बने मिंटो ब्रिज के नीचे रविवार सुबह हुई भारी बारिश से 15 फीट तक पानी जमा हो गया और इसमें डीटीसी की बस बामुश्किल एक-डेढ फीट छोड़ कर डूब गयी. इस जलजमाव में एक आटो भी पानी में डूब गया, जिसके ड्राइवर की मौत हो गयी. इस तसवीर ने आज सबका ध्यान खींचा और राजनेताओं, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों व अलग-अलग क्षेत्र के लोगों ने इस पर ट्वीट कर अपनी बात कही.

कनाट प्लेस से नयी दिल्ली स्टेशन को जाने वाले रास्ते पर मिंटो ब्रिज है. इस ब्रिज के नीचे से गुजरने के साथ ही आप कनाट प्लेस के एरिया से निकल जाते हैं. नजदीक से सामान्य दिखने वाले इस पुल का निर्माण अंग्रेजों के समय हुआ था और यह हम भारतीयों के द्वारा बनाया गया ऐसा पुल नहीं है जो 29 दिन में भरभरा कर गिर जाए. उसके नीचे की जो अव्यवस्थाएं है, वह स्थानीय शासन एवं प्रशासन की हैं. आज की घटना के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंप से पानी निकलवाने की बात कही और उस पर चर्चित लेखिका व पत्रकार मृणाल पांडेय ने तंज भी कहा.

मिंटो ब्रिज का निर्माण भारत में ब्रिटिश वायसराय लाॅर्ड मिंटो के नाम पर हुआ था. लार्ड मिंटो 1905 से 1910 तक भ्ज्ञारत के वायसराय रहे थे.

जिस ड्राइवर की ब्रिज के नीचे के जल जमाव में मौत हुई उनका नाम कुंदन सिंह हैं. पिथौरागढ के रहने वाले 55 वर्षीय कुंदन सिंह परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे और उनके दो भाइयों की पहले ही सड़क हादसे में मौत हो चुकी है. उनके परिवार में उनके माता-पिता व दो बेटियां हैं.


मिंटो ब्रिज के नीचे आज जैसा जल जमाव का दृश्य दिखा वैसा ही दृश्य दिखाने वाली 30 साल पुरानी तसवीर दिल्ली के स्थानीय अखबार नवभारत टाइम्स ने अपने वेबसाइट पर दी है और सवाल उठाया है कि इतने सालों में भी कुछ नहीं बदला. उस समय भी एक बस बिल्कुल उसी तरह पानी में डूबी थी.


आज की यह तसवीर दिल्ली का चुनौतीपूर्ण व दर्दनाक चेहरा दिखाता है, जिसे हमेशा ढकने की कोशिश की जाती है, चाहे सरकार किसी की हो. तो हमारी अपील इतनी है ही है कि छोड़िए काशी को क्योटो बनाना, दिल्ली को तो दिल्ली बनाए रखिए.

Edited By: Samridh Jharkhand

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