महाराष्ट्र में पवार का पेंच, चाह कर भी क्यों साथ नहीं आ पा रहे तीनों दल?


पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को देखने से यह स्पष्ट है कि गैर भाजपा सरकार गठन का पूरा पेंच शरद पवार ने फंसाया है. एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मल्लिक ने आज कहा कि राज्य में कोई सरकार बिना तीनों पार्टियों के एकजुट हुए नहीं बन सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि बिना तीनों दलों की हिस्सेदारी के सरकार को स्थायित्व नहीं मिल सकता है. यानी स्पष्ट है कि एनसीपी राज्य में ऐसी वैकल्पिक सरकार चाहती है, जिसमें वे, शिवसेना और कांग्रेस तीनों साझेदार हों, ताकि दोषारोपण की संभावना नहीं बचे.
शरद पवार की यह चाल ही कांग्रेस के लिए मुश्किल है. बाहर से समर्थन देना या शक्ति परीक्षण से बाहर रहना अलग बात होती है. वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के कई बड़े नेता हैं जो शिवसेना के साथ जाने का पक्ष नहीं हैं. पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि शिवसेना की छवि कट्टर हिंदुत्व की है और उसके जाने से अल्पसंख्यकों के मन में सवाल उठेंगे. पाटिल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वे सोनिया गांधी को सलाह देने के योग्य नहीं हैं.
शरद पवार राज्य में सरकार गठन से पूर्व सभी बिंदुओं का निबटारा करना चाहते हैं. पवार ने चुनाव परिणाम के बाद पहले ही कहा था कि सरकार बनाने का बहुमत भाजपा-शिवसेना को मिला है और वे ही इसकी पहल करें.
एनसीपी ने आज अपने विधायकों के साथ बैठक कर भी राजनीतिक हालात पर चर्चा की है. इस चर्चा के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार को सभी फैसले के लिए अधिकृत कर दिया गया है. यानी वैकल्पिक सरकार गठन में अब पवार ही सबसे निर्णायक शख्स हैं.