सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूर मामले में नौ जून तक आदेश सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों के सामने उत्पन्न परिस्थिति के मामले में अपना आदेश नौ जून तक सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से कहा गया है कि श्रमिकों को उनके पैतृक स्थल तक पहुंचाने के लिए तीन जून तक 4200 से अधिक श्रमिक ट्रेनें चलायी गयीं.

Migrant labourers matter: Supreme Court reserves order for Tuesday (9th June). pic.twitter.com/vYYuLGaiUV
— ANI (@ANI) June 5, 2020
इस दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने पूछा कि राज्य बताएं कि वो अपने यहां लौटे प्रवासी मजदूरों को क्या राहत मुहैया करा सकते हैं और किस तरह उनके रोजगार को सुनिश्चित करने वाले हैं.
अदालत ने राज्यों से मजदूरों का एक डाटा तैयार करने का कहा कि ताकि पता चल सके कि वे कहां से और कैसे लौटे हैं. शीर्ष अदालत प्रवासी श्रमिकों के परिवहन, पंजीकरण व रोजगार के मामले पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविद19 के इलाज के संबंध में दायर जनहित याचिका पर की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में कोरोना संक्रमित मरीजों के देश के निजी अस्पतालों में इलाज पर आने वाले खर्च की अधिकतम समय सीमा तय करने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस संबंध में जवाब मांगा है.
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में एक सप्ताह में जवाब मांगा है. अदालत ने कहा कि इस जनहित याचिका की एक प्रति साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता को मिलनी चाहिए जो इस मुद्दे पर निर्देश लेंगे और एक सप्ताह में जवाब देंगे.
याचिका में यह मांग की गयी है कि सरकार को कोविद19 के उपचार की सांकेतिक दरें तय करनी चाहिए. बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निबटारा होना चाहिए और उन सभी लोगों का कैशलेस इलाज होना चाहिए जिन्होंने बीमा ले रखा है. सुनवाई के दौरान अदालत ने निजी अस्पतालों से पूछा कि क्या वे आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित शुल्क पर कोविद19 मरीजों का इलाज करेंगे. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह केवल उन निजी अस्प्तालों से कोविद19 मरीजों का मुफ्त इलाज करने के बारे में पूछ रही है जिन्हें रियायती दर पर जमीन दी गयी है.