किसान आंदोलन : दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग पर दर्ज किया केस

किसान आंदोलन : दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग पर दर्ज किया केस

नयी दिल्ली (New Delhi ): दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को स्वीडेन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) पर एफआइआर (FIR Against Greta Thunberg) दर्ज किया है। ग्रेटा थनबर्ग ने दिल्ली की सीमाओं पर किसान के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। तीन फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर किसानों के समर्थन में अपनी चिंता प्रकट की थी और किसानों के पक्ष में अपना समर्थन जताया था।

ग्रेटा थनबर्ग पर आइपीसी की धारा 120 बी और 153 ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। थनबर्ग ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन किया था। ग्रेटा ने कल शाम किसान आंदोलन के समर्थन में दो ट्वीट किया था। ग्रेटा थनबर्ग ने बुधवार को अपने ट्वीट में सरकार पर सवाल खड़े किए थे और भारत सरकार पर दस्तावेज बनाने के लिए एक कार्ययोजना दस्तावेज भी साझा किया था।

किसान आंदोलन पर रिहाना व ग्रेटा जैसी अंतराष्ट्रीय सेलिब्रिटी की प्रतिक्रिया आने पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोई प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता है। विदेश मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज करायी थी और कहा था कि कुछ संगठन व लोग अपना एजेंडा थोपने के लिए इस तरह का बयान जारी कर रहे हैं।  विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह की टिप्पणी करने से पहले तथ्यों व परिस्थितियों की जांच करना जरूरी है और ऐसी स्थिति में किसी भी सेलिब्रिटी के द्वारा संवेदनशील ट्वीट करना या हैशटैग चलाना जिम्मेदारी भरा कदम नहीं है।दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा पर साजिश का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज किया है।

खुद पर एफआइआर दर्ज किए जाने के बाद ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट कर कहा है कि वे अब भी किसानों के समर्थन में उनके साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि वे किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करती हैं।

कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग?

मात्र 18 साल की ग्रेटा थनबर्ग एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। वे कम उम्र से ही पर्यावरण के लिए काम कर रही हैं और उनके प्रयासों की वजह से अंतरराष्ट्रीय नेता जलवायु परिवर्तन को लेकर काम करने को प्रेरित हुए। उन्होंने मात्र 15 साल की उम्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वीडेन की संसद के बाहद तख्ती लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदर्शन के लिए हर शुक्रवार को अपना स्कूल छोड़ दिया था। उन्होंने अपने माता-पिता को ऐसा जीवन जीने को तैयार किया जिससे कम से कम पर्यावरण क्षति हो। वे पर्यावरण संरक्षण के कार्याें के लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

Edited By: Samridh Jharkhand

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