मातृभाषा ने किया दिवंगत हिंदी साहित्यकारों का श्राद्ध

इंदौर : देश में हिंदी भाषा में ऐसे कई साहित्यकार हुए जिनकी वंशावली नहीं है अथवा उनके तर्पण श्राद्ध संबंधित सामाजिक उत्तरदायित्व का कोई निर्वहन नहीं करता। हिन्दी के दिवंगत साहित्यकारों के सभी उत्तरकर्मों के निर्वहन के लिए भारत में हिन्दी भाषा प्रचार के लिए कार्यरत मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने बीड़ा उठाया है। गुरुवार को इंदौर में ही सर्वपितृ अमावस्या के दिन संस्थान द्वारा श्राद्ध कर्म निमित्त ब्राह्मण भोज रखा गया।

संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ने कहा कि जब हम हिन्दी को माँ कहते हैं तो उस माँ के पुत्र-पुत्रियों के उत्तरकर्मों की ज़िम्मेदारी भी हमारी है, हम उसी दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निराला, महादेवी वर्मा जैसे हिन्दी साहित्यकारों ने अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दी को समर्पित किया है, अब हिन्दू संस्कृति के अनुसार उनके उत्तमकर्मों का दायित्व हमारा बनता है। हम उसी का निर्वहन कर रहे हैं।
निकट भविष्य में संस्थान द्वारा जिनके गोत्र इत्यादि की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होती जाएगी उनका विधि-विधान से गया जी में पिण्ड दान एवं तर्पण किया जाएगा।