कोरोना संकट में रांची की 20 लड़कियां रोजगार के लिए ले जायी गयी थीं गुजरात, पुलिस ने किया रेस्क्यू

ये लड़कियां पहली बार राज्य से बाहर गयीं थी, उन्हें सिलाई कढाई का काम दिलाने के नाम पर ले जाया गया और मछली पैकिंग का काम करवाया जाने लगा

रांची पुलिस की टीम ने रात-दिन एक कर सात दिनों तक लगातार यात्रा करते हुए कथित रूप से दुर्व्यापार की शिकार अनगड़ा, सिकिदरी एवं मुरी थाना क्षेत्रों की 20 बच्चियों को गुजरात से मुक्त कराया और 11 सितंबर की देर रात रांची लौटी.इस कार्य में झारखंड में बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता ब्रजेश मिश्रा ने सक्रियता से पुलिस का सहयोग किया.
क्या है मामला
तीन सिंतबर को अनगड़ा थाना को शिकायत प्राप्त हुई कि 30 बच्चियों को बहला-फुसलाकर गुजरात ले जाया गया है. उनमें से एक बच्ची के पिता ने उसी थाना क्षेत्र की एक युवती पर आरोप लगाया था कि उसने उसकी बेटी समेत कई अन्य नाबालिग बच्चियों को भी गुजरात सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण के नाम पर मछली पैकेजिंग के काम में जबरदस्ती लगा दिया है एवं नियोक्ता उन्हें वापस आने ही नहीं दे रहा.
आखिर क्यों हो रही है रांची पुलिस की सराहना
शिकायत मिलते ही अनगड़ा थाना प्रभारी अनिल कुमार तिवारी ने तीन सितंबर 2020 को थाना काण्ड संख्या 124/20 के रूप में कथित रूप से बाल दुर्व्यापार की शिकार एक बच्ची के पिता का आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए त्वरित रूप से मामले की जांच पुलिस के लिए यह पता करना चुनौती थी कि गुजरात में बच्चियां कहां हैं.
ऐसे में कुछ सुरागों का इस्तेमाल करते हुए अनिल कुमार तिवारी गुजरात में बच्चियों के कार्यस्थल का लगभग संकेत निकालने में कामयाब हो गए और उन्होंने अपने उच्चपदस्थ अधिकारियों के मार्गदर्शन में उन बच्चियों को मुक्त कराने की योजना बनायी. रेस्क्यू टीम में अनिल कुमार तिवारी के अलावा, प्रशिक्षु आरक्षी उपनिरीक्षक कोनल कुमारी एवं अन्य सदस्य भी शामिल थे.
रेस्क्यू टीम पंाच सितंबर को सड़क मार्ग से सूरत के लिए रवाना हुई और 15 से 17 साल की उम्र की 20 बच्चियों को 11 सितंबर की देर रात रांची लेकर पहुंची. पुलिस ने लड़कियों को ले जाने के आरोप में एक युवती को गिरफ्तार भी किया है.
रेस्क्यू टीम की वरीय पुलिस पदाधिकारी ने की तारीफ
रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार झा कहते हैं कि रांची पुलिस आमलोगों के लिए बेहतर काम करने का प्रयास करती है. ताकि कमजोर एवं पीड़ितों, विशेषरूप से महिलाएं एवं बच्चों के लिए न्याय तक पहुँच सुनिश्चित हो सके. इस त्वरित कार्रवाई के जरिये हमारे इन पदाधिकारियों ने इसे साबित भी कर दिखाया है.
रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने थाना प्रभारी अनिल कुमार तिवारी के नेतृत्व में गठित रेस्क्यू टीम के सभी सदस्यों द्वारा बाल हित में इतनी शीघ्रता से कार्रवाई करने के लिए उनकी जमकर सराहना की.
रांची पुलिस को गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा भी सहायता मिली
रांची पुलिस के अनुसार, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित गैर सरकारी संस्था बचपन बचाओ आन्दोलन ने रेस्क्यू टीम को त्वरित कार्रवाई करने में गुजरात पुलिस एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के साथ समन्वय करने में भी सहयोग किया एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए रेस्क्यू के तुरंत बाद श्रम विभाग के साथ समन्वय में प्रत्येक पीड़ित बच्चियों को 9000-9000 रुपये न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से भुगतान कराने में भी मदद की.
बचपन बचाओ आन्दोलन, नई दिल्ली के प्रवक्ता मनीष शर्मा ने कहा कि जेजे एक्ट 2015 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, बाल कल्याण समिति, सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत कर पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग की जाती है. फिर सीडब्ल्यूसी के आदेश से उनका सामाजिक जांच प्रतिवेदन तैयार कर उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाए जाते हैं.
मनीष शर्मा के अनुसार, बाल दुर्व्यापार या बच्चों के विरुद्ध किसी प्रकार का शोषण रोकने के लिए, जमीनी स्तर पर बाल संरक्षण को सुदृढ़ करना उच्च प्राथमिकता में होना जाए अन्यथा इन बच्चों या अन्य कमजोर वर्ग के बच्चों के शोषण का शिकार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
क्या कहते हैं रेस्क्यू टीम का नेतृत्व करने वाले अनगड़ा के थाना प्रभारी
रेस्क्यू टीम का नेतृत्व कर रहे अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि मेरे कार्य के प्रति वरीय पदाधिकारियों का विश्वास मुझे सभी मामलों में इसी प्रकार की करुणा के साथ काम करने को प्रेरित करता है.