नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने में तमिलनाडु ने बनाई बढ़त, 2050 का लक्ष्य

जिस दिन चक्रवात मंडौस तमिलनाडु के तट पर दस्तक देने की तैयारी कर रहा था, ठीक उसी दिन राज्य सरकार ने तमिलनाडु जलवायु परिवर्तन मिशन के शुभारंभ के साथ जलवायु लचीलापन की दिशा में काम करने की अपनी तैयारियों और प्रतिबद्धता पर फिर से जोर दिया है।

घटनाक्रम पर अपनी प्रतिकृया देते हुए तमिलनाडु सरकार में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव, डॉ. सुप्रिया साहू, कहती हैं, “जब नेट ज़ीरो लक्ष्यों की घोषणा करने की बात आती है तो राज्यों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे एमिशन के मामले में कहां खड़े हैं। जब हमारे पास ग्रीनहाउस गैस इन्वेंट्री हो तो
डीकार्बोनाइजेशन पाथवे की पहचान करना और चार्ट बनाना आसान हो जाता है। फिलहाल हम ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं। इसके बाद हम ऊर्जा, परिवहन और नगरपालिका प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जहां नीतियां राज्य स्तर पर बनती हैं वहीं हमारे प्रयास जमीनी स्तर पर होने चाहिए। इन प्रयासों में सहायता के लिए हमने एक ग्रीन क्लाइमेट फंड शुरू किया है, जिसके लिए तमिलनाडु सरकार ने 100 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। हमारा लक्ष्य बाहरी निवेश के जरिए और 900 करोड़ रुपये जुटाने का है।”
राज्य के जलवायु संबंधी मील के पत्थर, उपलब्धियों और बाधाओं पर चर्चा करने के लिए चेन्नई में आयोजित दो दिवसीय तमिलनाडु जलवायु शिखर सम्मेलन के अंत में मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। तमिलनाडु, जिसे पहले से ही देश में जलवायु कार्रवाई के मामले में अग्रणी माना जाता है, ने क्रमशः अगस्त और सितंबर में वेटलैंड मिशन और ग्रीन तमिलनाडु मिशन शुरू किया था।
तमिलनाडु ग्रीन क्लाइमेट कंपनी (TNGCC) इस मिशन को अंजाम देगी और जलवायु परिवर्तन मिशन के तहत राज्य जलवायु कार्य योजना का कार्यान्वयन करेगी। राज्य अपने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन के लिए एक गवर्निंग काउंसिल की स्थापना करने वाला पहला राज्य भी है।
ऐसे समय में जब भारत 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने की राह पर है, यह महत्वपूर्ण है कि राज्य उप-राष्ट्रीय लक्ष्यों की दिशा में काम करें।
इस जलवायु परिवर्तन मिशन के प्रमुख लक्ष्य तमिलनाडु में समग्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की योजना तैयार करना है।
TANGEDCO के अध्यक्ष राजेश लखानी कहते हैं, “हम रिन्यूबल एनर्जी आधारित भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा लक्ष्य 2030 तक तमिलनाडु में रिन्यूबल एनेर्जी के माध्यम से 50% बिजली उत्पादन हासिल करना है।
इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम राज्य की डीकार्बोनाइजेशन योजनाओं को प्राप्त करें, हम तमिलनाडु में कोई नया कोयला संयंत्र नहीं लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में, राज्यों ने भारत की डीकार्बोनाइजेशन योजनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाया है। 2019 में, गुजरात ने घोषणा की कि वह कोई नया कोयला संयंत्र नहीं बनाएगा। उसी वर्ष, छत्तीसगढ़ ने भी इसी तरह की घोषणा की और जोर देकर कहा कि वह सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करेगा। 2021 में, महाराष्ट्र ने घोषणा की कि वह कोई नई कोयला क्षमता स्थापित नहीं करेगा, और अपनी बढ़ती मांग के लिए 25GW सौर ऊर्जा में निवेश करेगा।
तमिलनाडु ‘नो न्यू कोल’ स्थिति का दावा करने वाला देश का चौथा राज्य हो सकता है।
तमिलनाडु रिन्यूबल एनेर्जी की बात करने वाले नेताओं में से एक है। इसने मार्च 2022 तक 16 GW स्थापित किया है, जो हाल के एक विश्लेषण के अनुसार 2022 के लक्ष्य का 75% है। तमिलनाडु में, मार्च 2021 के एक अनुमान के मुताबिक 88.7 GW सौर क्षमता स्थापित करने की क्षमता है। चेन्नई में जारी तमिलनाडु विंड ऊर्जा रोडमैप हार्नेसिंग नेट जीरो ऑपर्च्युनिटीज नाम की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 68GW (ऑनशोर) और 35 GW (ऑफशोर) की क्षमता है।
यदि राज्य अपनी एनर्जी ट्रांज़िशन प्रतिबद्धताओं और क्षमता पर खरा रहता है, तो यह न केवल क्लीन एनर्जी से अपनी घरेलू एनर्जी जरूरतों को पूरा कर सकता है, बल्कि भारत के 500GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी में भी अग्रणी हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और 6वें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एरिक सोलहेम,कहते हैं, “अपनी प्राकृतिक सम्पदा, गतिशील लोगों और प्रगतिशील नेतृत्व के साथ तमिलनाडु भारत और विश्व के हरित परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए उत्कृष्ट स्थिति में है। तमिलनाडु में अक्षय ऊर्जा, जैसे सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन के लिए एक बिजलीघर बनने की बड़ी महत्वाकांक्षा है। यह अपने वृक्षों के आवरण को 23 से बढ़ाकर 33% कर देगा। तमिलनाडु पर्यावरण के अनुकूल कृषि, विद्युत गतिशीलता और हरित वित्त में अग्रणी बन सकता है। भारत के सबसे समृद्ध और सफल राज्यों में से एक के रूप में, यह राज्य न सिर्फ पूरे देश को एक अद्भुत जीत-जीत के अवसर की ओर ले जाने में मदद कर सकता है बल्कि धरती माता की अच्छी देखभाल करते हुए रोजगार और समृद्धि भी पैदा कर सकता है। मैं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता वाली तमिलनाडु क्लाइमेट गवर्निंग काउंसिल में शामिल होने और हरित नेतृत्व के लिए राज्य की राह पर चलने के लिए उत्साहित हूं।”