दिल्ली सरकार बना रही है अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0, हित धारकों से जारी है संवाद

दिल्ली सरकार बना रही है अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0, हित धारकों से जारी है संवाद

वर्ष 2022 में 10.5% की सालाना औसत से बढ़ी इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ

दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन प्रकोष्ठ ने राज्य की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 का मसविदा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों से भी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। इसके तहत 220 ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम), कारोबारियों, औद्योगिक पक्षों, थिंक टैंक और सरकारी विभागों को भी शामिल किया गया है ताकि वे शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों की और बेहतर पैठ बनाने के मकसद से मजबूत नीतिगत उपाय से संबंधित अपनी राय और नजरिए को साझा कर सकें। यह कार्यक्रम क्लाइमेट ट्रेंड्स और आरएमआई इंडिया फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से आयोजित किया है। इसमें दिल्ली के परिवहन मंत्री श्री कैलाश गहलोत, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव सह आयुक्त आशीष कुंद्रा, मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं डीडीसी के सदस्य गोपाल मोहन, दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल सेल के सीईओ एन. मोहन तथा परिवहन विभाग की विशेष आयुक्त शिल्पा शिंदे भी शामिल रहीं।

क्लाइमेट ट्रेंस के निदेशक आरती खोसला ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “ दिल्ली में वाहनों के सभी वर्गों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की पैठ में हुई बढ़ोतरी इस बात का आदर्श उदाहरण है कि किस तरह से नीति के प्रभावी क्रियान्वयन और सहयोगात्मक तथा सलाह-मशविरे वाले रवैये को लागू करके काफी कुछ हासिल किया जा सकता है। दिल्ली शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों के उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारको, शोध संस्थानों तथा सिविल सोसायटी संगठनों का बेहद सक्रिय और लगन शील समूह मौजूद है। हम उम्मीद करते हैं कि नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति से दिल्ली शहर दुनिया के नक्शे पर ई-मोबिलिटी के मामले में सबसे प्रगतिशील शहरों में से एक के रूप में अपनी जगह बनाएगा।”

दिल्ली की मौजूदा इलेक्ट्रिक वाहन नीति को इसी साल अगस्त में 3 साल पूरे हो जाएंगे। राज्य के परिवहन विभाग के मुताबिक अभी तक इस नीति के तहत निर्धारित के 86% उपायों और लक्ष्यों को हासिल किया जा चुका है। लक्ष्य है कि वर्ष 2024 तक दिल्ली में सभी नए पंजीकृत वाहनों में से कम से कम 25% गाड़ियां इलेक्ट्रिक हों।

दिल्ली ईवी सेल के सीईओ एन, मोहन ने दिल्ली में ई-मोबिलिटी की मौजूदा स्थिति की तस्वीर पेश करते हुए कहा “पिछले साल दिल्ली में बिकी कुल गाड़ियों में इलेक्ट्रिक वाहनों की औसत मात्रा 10% थी। दिसंबर 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल पैठ 17% हो गई जो सर्वाधिक थी और यह पूरे भारत में भी सबसे ज्यादा थी। दिल्ली शहर में इस बार 4300 से ज्यादा चार्जिंग प्वाइंट्स हैं और 2500 से ज्यादा स्थानों पर बैटरी बदलने के 256 केंद्र मौजूद हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के रूप में 167 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और यह इलेक्ट्रिक वाहन नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ है। ”

दिल्ली में सीएनजी वाहनों के रूप में गाड़ियों के रूपांतरण के बाद ईवी क्षेत्र में हुई क्रांति राष्ट्रीय राजधानी में यह अगला बड़ा रूपांतरण है। सरकार के अधिकारियों का दावा है कि केंद्र सरकार की फेम और पीएलआई योजना के साथ-साथ राज्य सरकार की नीतियों और प्रोत्साहन ने एक कामयाब मॉडल पेश किया है।

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “ मैं पूरे विश्वास के साथ यह बात कह सकता हूं कि दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति देश के अन्य सभी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रगतिशील है। इसकी कामयाबी में दिल्ली के नागरिकों समेत सभी हितधारकों की हिस्सेदारी है। इस रफ्तार से आगे बढ़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति बेहद महत्वपूर्ण है और मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उनके मजबूत समर्थन के लिए बेहद आभारी हूं। हमने हमेशा समावेशन, वित्तीय प्रोत्साहन और नवोन्मेष पर ध्यान दिया है और कामयाबी के लिए हम आपसी सहयोग को एक मार्गदर्शी सिद्धांत के रूप में अपनाकर काम करते हैं। ”

दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 में सरकारी वाहनों के बड़े तथा वाणिज्यिक एवं डिलीवरी वाहनों एवं बसों के विद्युतीकरण पर और अधिक जोर दिया जाएगा। साथ ही साथ बैटरी रीसाइक्लिंग और प्रबंधित चार्जिंग के जरिए एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जाएगा।

परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव सह आयुक्त आशीष कुंद्रा ने इस पहलू पर रोशनी डालते हुए कहा कहा, “हमें सतत परिवहन की दिशा में अब तक की गई प्रगति पर बहुत गर्व है। हमने वर्ष 2025 तक सरकारी बसों के बेड़े के 80% हिस्से को विद्युतीकरण करने की प्रक्रिया शुरू की है। इलेक्ट्रिक वाहन नीति के दूसरे चरण में हम चाहते हैं कि विभिन्न निर्धारक हमें यह बताएं कि हम फ्लीट एग्रीगेटर्स, लास्ट माइल और फूड डिलीवरी कंपनियों में ईवी की पैठ को कैसे बढ़ाएं, दोपहिया वाहनों में उच्चतम पैठ कैसे हासिल करें और दुनिया भर से स्थायी वित्त को कैसे संभव बनाएं। ”

इस सत्र में हिस्सा लेने वाले विश्व बैंक, यूएसएड और ब्रिटिश उच्चायोग के विशेषज्ञों ने दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों में रूपांतरण को तेज करने के लिए सार्वजनिक वित्त को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। हालांकि, वे इस बात से भी सहमत थे कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 को बड़े पैमाने पर स्थायी वित्त जुटाने पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि सरकारी सब्सिडी और उधार से रूपांतरण के दायरे को बढ़ाने की संभावनाएं सीमित हो जाएगी।

Edited By: Samridh Jharkhand

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