नक्सलियों के मांद में वोटिंग कल, सुरक्षा की अग्निपरीक्षा
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स्टेट ब्यूरो: झारखंड लोकसभा चुनाव के तीसरे व लोकसभा के सातवें चरण में नक्सलियों के गढ़ माने जानेवाले चार लोस सीटों चाईबासा, गिरिडीह, धनबाद और जमशेदपुर में 12 मई को वोट डाले जाएंगे। यहां पड़नेवाले विधानसभा में एकाध को अलग कर दिया जाय, तो बाकि बचे क्षेत्रों में नक्सली उत्पात मचाते रहे हैं। इस बार भी नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार की धमकी के बाद मतदाताओं के अंदर से डर समाप्त करने के लिए प्रशासन ने अभियान चलाने के साथ मौखिक अपील भी की है।
नक्सलियों के घोषित लाल गलियारे का हिस्सा होने के कारण यहां पर नक्सालियों ने पूर्व में कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है, लिहाजा प्रशासन के लिये इसे अग्निपरीक्षा का चरण कहा जा सकता है। चुनाव आयोग व प्रशासन ने भी अपनी कमर कसते हुये सारी तैयारियां मुक्कमल कर ली हैं और तमाम संवेदन व अतिसंवेदशील बूथों पर अर्धसैनिक बलों को तैनात कर लिया है। करीबन 40 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। चुनाव कराने के लिये पोलिंग पार्टियां बूथों पर पंहुच चुकी हैं।
गौरतलब है कि इन चारों लोस क्षेत्रों में चाईबासा जिले में एक- दो थाना क्षेत्रों को अलग कर दिया जाय तो बाकि सभी इलाके घोर नक्सल प्रभावित हैं। इनमें सोनुआ, गोइलकेरा, गुदरी, बड़गांव, किरीबुरू, सरायकेला, छोटा नागरा, मनोहरपुर, चिड़िया माइंस ओपी व टोंटो जैसे थाना क्षेत्र तो नक्सलियों के गढ़ के रुप में जाने जाते हैं। गिरिडीह में पारसनाथ, उतरी डुमरी, निमियाघाट, पीरटांड़, कुकरा व मधुबन थाना क्षेत्र नक्सलियों के समानान्तर सरकार चलाने वाले इलाके माने जाते हैं। धनबाद की बात करें तो हरिहरपुर, राजगंज, तोपचांची, बनियाडीह, टुंडी, पूर्वी टुंडी व बरबड्डा उग्रवाद प्रभावित जोन है। जमशेदपुर में गुड़ाबांध के अलावे और भी एकाध थाने नक्सलियों के चपेट में हैं। बताया जाता है कि चाईबासा रेंज में फिलहाल बड़े माओवादियों का दस्ता सक्रिय है।
गिरिडीह में भी नक्सलियों के एक्टिव होने की बात है। चाईबासा व सरायकेला जिले की सीमा पर हार्डकोर नक्सलियों के मुवमेंट की खबर है। ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिये वोटिंग कराना व मतदाताओं को वोटिंग केंद्र तक पंहुचाना एक हार्ड टास्क माना जा रहा है। ऐसे में अहम होगा कि सुरक्षा रणनीति को बेहतर तरीके से अंजाम देकर माओवादियों के नापाक इरादे को धवस्त कर लोकतंत्र की जीत सुनिश्चित की जाय। रणनीति ऐसी हो कि हमारे जवान पूरी तरह से सुरक्षित हों। अपने आवागमन के राह को कारगर तरीके से अंजाम देना होगा। मन को राहत देनेवाली बात ये है कि 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने जोरदार उत्साह के साथ नक्सलियों के इन्ही गढ़ों में जमकर मतदान किया था। इसमें प्रशासन नक्सलियों को भारी पड़ा था।
बताते चलें कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों की सीमा सटी हुई है, लिहाजा नक्सलियों द्वारा आशियाना बदलने का दौर जारी रहता है। इसके अलावे उड़िसा का क्षेत्र में इनके भागने का एक रास्ता है। जंगलों के रास्ते एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश आसानी से आ जा सकते हैं। हर बार की तरह इस बार भी नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार की धमकी का भय तो मतदाताओं के भीतर जरुर है, लेकिन इसे जड़ से खत्म करने के लिये चुनाव आयोग व पुलिस- प्रशासन ने हर संभव कार्य किया है। चुनाव आयोग की तरफ से सुरक्षा के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन, सैफ, ईको जैप तथा जिला पुलिस को तैनात किया गया है।
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पूरे इलाके की निगरानी हेलीकाप्टर से भी होगी। चारों सीटों पर 67 प्रत्याशी मैदान में हैं व 66 लाख 85 हजार 401 वोटर उनकी किस्मत ईवीएम मशीन में बंद कर देंगे। इनमें 35 लाख 5 हजार 565 पुरुष और 31 लाख 79 हजार 720 महिला मतदाता हैं।
97 मतदान केंद्र बदले: सुरक्षा के मद्देनजर नक्सली क्षेत्रों के 97 मतदान केंद्र बदले गए हैं। इनमें चाईबासा में 93 बूथों को चुनाव आयोग की सहमति से रि-एलोकेट किया गया है। मौजूदा परिवेश में चारों सीटें भाजपा की झोली में है। इस बार भाजपा और महागठबंधन के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। सिंहभूम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा- कांग्रेस की गीता कोड़ा, जमशेदपुर में भाजपा के विद्युत वरण महतो- झामुमो के चंपई सोरेन, धनबाद में भाजपा के पीएन सिंह- कांग्रेस के कीर्ति आजाद और गिरिडीह में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी व झामुमो के जगरनाथ महतो में मुकाबला है।
लोस सीट गिरिडीह धनबाद जमशेदपुर सिंहभूम
प्रत्याशी 15 20 23 09
कुल मतदाता 1647715 2058233 1701342 1268111
पुरुष 877932 1121588 871103 634972
महिला 769764 946641 830183 633132
थर्ड जेंडर 19 34 56 07
मतदान केंद्र 2161 2539 1885 1715
शहरी क्षेत्र में 326 1323 683 250
ग्रामीण क्षेत्र में 1835 1216 1202 1465
संवेदनशील बूथ 1069 1500 699 640
अति संवेदनशील बूथ 392 212 662 496
Edited By: Samridh Jharkhand