दशकों के संघर्ष के बाद साकार होने जा रहा है फॉसिल्स पार्क का सपना, लेकिन अभी बाकी हैं कई काम

साहिबगंज: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन साहिबगंज जिले के मंडरो में बने फॉसिल पार्क का 30 जून को हूल दिवस के मौके पर उदघाटन करेंगे। भूगर्भीय अध्ययन और उससे जुड़ी चीजों के संरक्षण के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। चार-पांच दशक पहले इसके लिए तत्कालीन उपायुक्त विजय प्रकाश एवं भू विज्ञान के प्रोफेसर स्वर्गीय डॉ सीताराम सिंह ने पर्यास किया था। इससे संबंधित प्रस्ताव 1984 मे बना था जिसने 38 साल बाद 2022 में यह मुकाम पाया। इसके लिए ढेरों संघर्ष और प्रयास किए गए। राजमहल की पहाड़ियां अपने फॉसिल्स के लिए विश्वविख्यात है और इसे मंडरो में बनाए गए फॉसिल्स पार्क के जरिए संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

इसके बाद लंबे संघर्ष के बाद 2008 में भू वैज्ञानिक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने इसके लिए प्रयास किया और 2013-14 में पहल और प्रयास करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं पीएमओ को डॉ रणजीत कुमार सिंह ने रिपोर्ट तैयार कर एक आवेदन पर विचार के लिए प्रस्ताव भेजा था।
राजमहल पहाड़ी को संरक्षित करने के लिए म्यूजियम फॉसिल पार्क, रिसर्च सेंटर एवं अर्थ साइंस सेंटर का प्रस्ताव भेजा गया था। 100 छात्र-छात्राओं के लिए शोध कार्य के लिए एक विश्व स्तरीय इंटरप्रिटेशन सेंटर बनने की बात रखी गई थी जिसमें स्थानीय आदिवासी पहाड़ियां गरीब छात्र-छात्राओं का आवासीय केंद्र खोल कर शोध कार्य किया जा सके।
यहां बताते चलें कि झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल के फॉसिल से ही बीरबल सहनी पालेओ साइंस इंस्टीट्यूट, लखनऊ, उत्तर प्रदेश विश्व स्तर का संस्थान बन गया, पर जहां फॉसिल का उद्गम स्थान है वहां आज भी फॉसिल के लिए शोध केन्द्र नहीं बन पाया। साथ ही यहां के युवाओं को रोजगार, शोध में भागीदारी मिलना चाहिए था वह भी नहीं मिल पाया।
प्रयास, पहल, संवेदनशीलता और लगातार संघर्ष व पत्राचार के बाद पीएमओ से लेकर राज सरकार, जिला प्रशासन के संज्ञान में बात आयी, उसके परिणामस्वरूप ही आज राजमहल में कुछ पहाड़ पर फॉसिल सुरक्षित हैं।
अब फॉसिल पार्क का उद्घाटन किया जा रहा है, लेकिन अभी भू वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, राजमहल पहाड़ी के दृष्टिकोण से, फॉसिल के संरक्षण के दृष्टिकोण से एवं छात्र छात्राओं के शोध एवं रोजगार के दृष्टिकोण से काम करने की जरूरत है। खासकर जिओ टूरिज्म एवं भू वैज्ञानिक अर्थ साइंस विभाग का एक ऑफिस यहां पर खुलना चाहिए।
फॉसिल पार्क और फॉसिल्स के संरक्षण और शोध के लिए संघर्ष करने वाले डॉ रणजीत कुमार सिंह को झारखंड का फॉसिल्स मैन कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।