केंद्र की खनिज नीतियों पर भड़के विजय शंकर नायक, झारखंड को “संगठित लूट” का शिकार बताया

झारखंड को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा देने की मांग

केंद्र की खनिज नीतियों पर भड़के विजय शंकर नायक, झारखंड को “संगठित लूट” का शिकार बताया
शंकर नायक ( फाइल फोटो )

रांची में विजय शंकर नायक ने केंद्र की खनिज नीतियों को झारखंड विरोधी करार देते हुए कोयला राजस्व, जीएसटी, MMDR एक्ट और कोल ब्लॉक निजीकरण को “संगठित लूट” बताया। उन्होंने राज्य के अधिकार बहाल करने, ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य करने और खनिज राजस्व में 50% हिस्सेदारी की मांग उठाई।

रांची :  झारखंड की खनिज संपदा पर भाजपा सरकार की केंद्रीय नीतियों को लेकर राज्य में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने केंद्र की नीतियों को “पूरी तरह लूट-प्रधान, कॉर्पोरेट-परस्त और संविधान-विरोधी” करार दिया है।
 नायक आगे ने कहा की “दिल्ली की हर नीति झारखंड के खिलाफ, और निजी कंपनियों के पक्ष में बनाई गई है।खनिज अधिकार छीन, कर अधिकार छीना, और बदले में झारखंड को गरीबी, विस्थापन और कुपोषण सौंपा—यह एक योजनाबद्ध लूट है जो अब बर्दाश्त नही किया जायेगा ।

इन्होने आरोप लगाते हुए कहा की केंद्र की 5 सबसे बड़ी ‘लूट नीति’ने झारखंडी समाज की खनिज सम्पन्न होते हुए भी कंगाल बना कर रखा है जो संविधान के भी विरुद्ध है | उदाहरन देते हुए आगे कहा की (1) कोयला संपदा पर सीधा कब्ज़ा — 35 लाख करोड़ निकाला, झारखंड को 4–5% टुकड़ा । इन्होने यह भी बताया कि पिछले 8 वर्षों में झारखंड से 35 लाख करोड़ रुपए का कोयला निकाला गया, लेकिन राज्य को रॉयल्टी के रूप में सिर्फ 4–5% हिस्सा मिला। संसाधन हमारे और मुनाफा दिल्ली व कंपनियों का—यह लोकतंत्र नहीं, संगठित सरकारी लूट है।” (2) 90% कोल ब्लॉक निजी कंपनियों को — पाँचवीं अनुसूची को कचरे में फेंका 2015 से 2023 के बीच झारखंड के अधिकांश कोल ब्लॉक निजी कॉर्पोरेट घरानों को सौंप दिए गए।

यह न केवल गाँवों को उनके अधिकार से वंचित करता है बल्कि ग्राम सभा की भूमिका को भी खत्म कर देता है |नायक ने आगे कहा की —“पाँचवीं अनुसूची और PESA एक्ट को केंद्र सरकार ने कागज़ का टुकड़ा बना दिया।ग्राम सभा, आदिवासी, जल-जंगल-जमीन—सभी को बेमानी कर दिया गया।” (3)  ऊर्जा राष्ट्र की, अंधेरा झारखंड का — विकास का दोहरा मानदंड झारखंड के कोयले से आज महाराष्ट्र दिल्ली एवं अन्य राज्यों में 24 घंटे बिजली, गुजरात एवं अन्य राज्यों में में बड़े - बड़े उद्योगो ,कारखानों का तेज़ विस्तार हो रहा है लेकिन झारखंड में अब भी हमारे गाँवों में अंधेरा है, बेरोजगारी, कुपोष , पलायन ,गरीबी  बुनियादी सुविधाओं का अभाव है ।

नायक ने तीखा सवाल उठाया—“हमारे कोयले से दूसरे राज्यों की चमक क्यों और हमारे ही गाँवों के बच्चे अंधेरे में क्यों (4) जीएसटी—राज्य के अधिकारों की दूसरी बड़ी लूट जीएसटी लागू होने के बाद झारखंड का 18,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का अपना स्थायी कर अधिकार खत्म हुआ। 2022 से मुआवजा भी रोक दिया गया। “पहले खनिज लूट, फिर टैक्स लूट—केंद्र सरकार ने झारखंड की रीढ़ तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
(5)  MMDR एक्ट—संविधान का गला घोंटने वाली नीति,  MMDR के संशोधनों (1957, 2015, 2021) के जरिए राज्य की खनिज पर संप्रभुता लगभग खत्म कर दी गई।यह सातवीं अनुसूची की पूरी तरह अवमानना है।

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नायक ने आगे कहा की —“केंद्र ने संसाधन का अधिकार भी छीना और नियमन का अधिकार भी।यह न नीति है, न सुधार—यह राज्य संघीय ढांचे पर सीधा हमला है।” झारखंड के खिलाफ संघीय हमला तीन स्तरों पर लूट-(1) खनिज लूट ब्लॉक निजी हाथों में, लाभ बाहर। (2) कर लूट राज्य का कर अधिकार खत्म, जीएसटी का मुआवजा रोककर नुकसान बढ़ाया। (3) अधिकार लूट ग्राम सभा की सहमति, PESA, पाँचवीं अनुसूची—सभी को कमजोर किया।

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नायक ने कहा की —“ये अलग-अलग नीतियाँ नहीं, बल्कि केंद्र की ‘कॉर्पोरेट-फ्रेंडली लूट व्यवस्था’ का हिस्सा हैं।”नायक की माँगें — ‘लूट निरस्त करो, अधिकार बहाल करो’
1. MMDR के सभी विवादित संशोधन तुरंत रद्द हों।
2. सभी कोल ब्लॉक का स्वामित्व झारखंड सरकार को वापस दिया जाए।
3. खनिज राजस्व का 50% से अधिक सीधे राज्य को मिले।
4. पाँचवीं अनुसूची क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य की जाए।
5. झारखंड को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा मिले।
6. जीएसटी नुकसान का पूर्ण और तत्काल मुआवजा दिया जाए।

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नायक ने स्पष्ट कहा कि “अब झारखंड झारखंडी समाज चुप नहीं बैठेगा और “केंद्र की लूट के खिलाफ अब न्याय अदालत में नहीं,जनता की अदालत—सड़कों पर होगा।संविधान बचाएँगे, झारखंड बचाएँगे,और अपना हक़ लेकर रहेंगे।”

Edited By: Mohit Sinha

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