Ranchi News : पीडीएमसी योजना में भ्रष्टाचार का आरोप: ब्लैकलिस्ट कंपनियों को फिर मिला कार्यादेश
कृषि विभाग पर गैर-मानक उपकरण सप्लाई और ब्लैकलिस्ट कंपनियों को लाभ पहुंचाने का आरोप, सीपीआई ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
पीडीएमसी योजना में भ्रष्टाचार के आरोप तेज हो गए हैं। सीपीआई नेता अजय सिंह ने दावा किया कि कृषि विभाग ने CIPET की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर 12 ब्लैकलिस्ट कंपनियों को दोबारा काम दे दिया है, जिससे किसानों को घटिया उपकरण मिल रहे हैं।
रांची : पी डी एम सी योजना के तहत किसानों को घटिया उत्पाद उपकरण की आपूर्ति एवं सी आई पी ई टी CI PET के जांच रिपोर्ट को दर किनार कर 12 काली सूची कंपनियों को कार्य आवंटन संदेहास्पद। अजय सिंह झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी। झारखंड से भ्रष्टाचार हटाने का दावा करते हैं लेकिन विभाग के अधिकारी उनके दावों को खोखला एवं धत्ता बनाकर अपने ही मर्जी से काम कर रहे हैं जिसे लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कार्यकारणी सदस्य सह जिला सचिव अजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया जिसमें उन्होंने कृषि विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर अपनी बातें रखी उन्होंने कहा महागठबंधन के मुखिया के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार राज्य के विकास के लिए काम कर रहे हैं लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के कारण झारखंड सरकार भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम है।

ब्लैक लिस्टेड कंपनियों में मुख्य रूप से 1. Mohit India 2. Makk now industries 3. Global E Mechanical Equipment 4. PREMIER Irrigation 5. Adritec Pvt Ltd 6. Nimbus pipes Ltd,7. Mohit polytech Pvt ltd 8. Vedanta polymers pvt Ltd 9. Rungtta Irrigation limited 10. Shree Bhandari Plastic pvt Ltd 11. Bharat drop irrigation and agro 12. RM Drip and Sprinklers system ltd 13. Samay irrigation pvt Ltd के नमूने cipet के जांच में नन स्टैंडर्ड पाया गया था ।
लेकिन इनको सजा ने देकर अधिकारी लोगो की संलिप्तता एवं गठजोड़ के कारण आज की तारीख में इन पूरे राज्य में कृषि विभाग में 60% का कार्यादेश इन कंपनियों के पास है विभाग इनपर उचित जांच कर कार्रवाई करे । किसानों के मानसम्मान के साथ खिलवाड़ न करे। सीपीआई राज्य सरकार से मांग करती है सरकार को बदनाम करने वाले पदाधिकारियों एवं किसानों के साथ धोखा करने वाले कंपनियों की को झारखंड हित में चिन्हित कर उचित कार्यवाही करे ताकि कोई भी अधिकारी सरकार के योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान दे न की कम्पनी पर।
