नगर निगम और मेयर विवाद पर राज्य सरकार ने महाधिवक्ता का लिया मंतव्य

राँची: आए दिन रांची नगर निगम सहित राज्य के नगर निकायों में महापौर और नगर आयुक्त तथा अध्यक्ष और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच कार्य और अधिकार को लेकर लगातार विवाद हो रहें हैं। इन विवादों को देखते हुए राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग नें निकायों में जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के कार्य क्षेत्रों तथा अधिकार पर महाधिवक्ता से मंतव्य मांगा। महाधिवक्ता द्वारा दिये गए मंतव्य से विभाग ने सभी निकायों को अवगत करा दिया है ।

महाधिवक्ता द्वारा दिये गए मंतव्य में बताया गया है कि किसी आपातकालिन कार्य को छोड़कर किसी भी परीस्थिति में महापौर व अध्यक्ष को अधिकार नहीं है कि वो एजेंडा में कोई बदलाव लाएं। बैठक के बाद अध्यक्ष और महापौर को स्वतंत्र निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। बैठक की कार्यवाही बहुमत के आधार पर तय होगी।
मंतव्य में यह भी साफ किया गया है कि महापौर और अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करें और किसी भी विभाग या कोषांग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करें।
इसके साथ साथ यह भी बताया गया है कि आगर किसी बैठक में महापौर उपस्थित नही हैं तो उप महापौर कार्यवाही पर हस्ताक्षर करेंगे। अगर दोनों अनुपस्थित हैं तो पार्षदों द्वारा चयनित प्रोजाइडिंग ऑफिसर हस्ताक्षर करेंगे। साथ ही अगर बैठक में महापौर मौजूद हैं और पार्षदों की सहमति से जो निर्णय हुआ है उसपर आधारित कार्यवाही पर महापौर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो नगर आयुक्त और कार्यपालक पदधिकारी को अधिकार है कि वो राज्य सरकार को अनुशासनात्मक कार्रवायी के लिए लिखें। अगर ऐसा होता है तो राज्य सरकार को अधिकार है कि वो महापौर को पदमुक्त कर दें।