छठ पूजा पर राजनीति हुई तेज, पूर्व सीएम ने कहा- जलाशय में अर्घ्य देने की अनुमति दे राज्य सरकार

रांचीः राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर सामूहिक छठ पूजा (Collective Chhath Puja) पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने जारी गाइडलाइन में बदलाव करने की मांग लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं. राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास (Former CM Raghuvar Das) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि लोकआस्था का महापर्व छठ में बिहार की तरह यहां पर भी सरकार जलाशय में अर्घ्य देने की अनुमति प्रदान करे. बीजेपी के प्रजेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार लोगों के आस्था के साथ खिलवाड़ मत करें. अपनी तुगलकी फरमान पर पुनर्विचार करे.
लोकआस्था के महापर्व छठ व्रत पर बिहार की तरह झारखंड में भी तालाबों में अर्घ्य देने की अनुमति के लिए मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा।यह त्योहार लाखों लोगों की आस्था व संकल्प का प्रतीक है। छठव्रती इस दिन का सालभर इंतजार करते हैं। सरकार गाइडलाइंस में संशोधन कर छठ की अनुमति प्रदान करें। pic.twitter.com/TUMHAp6r3x
— Raghubar Das (@dasraghubar) November 16, 2020
रघुवर दास ने कहा कि बिहार के तरह झारखंड में भी छठ का आयोजन सरकार करे. राज्य सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों (Rural and urban areas) में स्थित छोटे तालाबों पर छठ पूजा की अनुमति दें साथ ही कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और मास्क लगाने की नियम पर और कड़ाई करे.
प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद श्री @dprakashbjp जी ने मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM जी को पत्र लिखकर कहा है कि छठ महापर्व पर राज्य सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों ने सनातन परंपरा एवं आस्था पर विश्वास रखने वालों को आहत किया है अतः सरकार इसपर पुर्नविचार करे. pic.twitter.com/44CYZ08mgv
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) November 16, 2020
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश (State President Deepak Prakash) ने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण रोकने के साथ-साथ लोकआस्था बनाये रखना सरकार की जिम्मेवारी है. छठ पूजा की गाइडलाइन जारी करने से पहले राज्य सरकार को धार्मिक, सामाजिक संगठनों (Religious, social organizations) से विचार विमर्श करना चाहिए था. लोकआस्था का महापर्व छठ सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़ा है. जहां एक सामान्य गरीब व्रतधारी भी इसे सम्पन्न कर सकता है. सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन लोकआस्था पर चोट है.