झामुमों सौदेबाजी करने वाली पार्टी: आजसू
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रांची: आजसू पार्टी ने झामुमों को आड़े हांथो लेते हुये कहा है कि वह पहले अपने गिरेबां में झांके इसके बाद सवाल पूछे। भी आजसू पार्टी झामुमो के सवालों का जवाब शौक से देती है। साथ ही झारखंड जिन सवालों का जवाब चाहता है उसे भी सामने लाना चाहती है। आजसू ने पूछा कि केंद्र में नरसिंहा राव की सरकार को बचाने के लिए झामुमो पर जो आरोप लगे व मुकदमे हुए उसमें झामुमो ने क्या झारखंड के वोट की सौदेबाजी नहीं की थी ?
आजसू के पदाधिकारी डॉ देवशरण भगत ने कहा कि झामुमों से पूछा है कि झारखंड में पहले एनडीए की सरकार में शामिल होना फिर सरकार को गिराने के पीछे सिर्फ और सिर्फ हेमंत सोरेन का सत्ता लोलुपता थी या कुछ और ? पांच महीनें में ही षड्यंत्र कर गुरूजी को मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया और फिर 5 माह बाद इसी आजसू व भाजपा के सहयोग से सरकार में उपमुख्यमंत्री बन बैठे। आखिर क्यों ? अगर ये नीतिगत लड़ाई थी तो हेमंत सोरेन को उसी गठबंधन में उपमुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए था।
स्थानीयता के सवाल पर जेएमएम ने अर्जुन मुंडा की सरकार गिरा दी, लेकिन खुद सरकार में आकर स्थानीय नीति नहीं बना सके क्यों ? ये भी पूछा है कि क्या सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर हेमंत सोरेन ने सहमति दी थी ? गिरिडीह संसदीय सीट पर आजसू के चुनावी मैदान में उतरने से इतनी बेचैनी आखिर जेएमएम को क्यों है। सबसे बड़ा दल होने का गुमान था तो कांग्रेस के सामने चार सीटों पर घुटने क्यों टेके ? इसके अलावे और भी कई सवाल झामुमों से पूछे। ये भी पूछा है कि झामुमो बताये कि आखिर आजसू पार्टी ने किस दल के साथ कब बार्गेनिंग की राजनीति की। ये दावा किया कि आजसू ने राज्य हित में ही हर फैसले लिये हैं। आजसू झामुमों की तरह सरकार गिराने और बनाने की राजनीति भी नहीं करती।
Edited By: Samridh Jharkhand