चुनाव में मुसलमानों को मोहरा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण, हम भाईचारे के साथ देश में योगदान चाहते हैं

मुसलिम संगठनों की रांची में हुई बैठक, मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर चिंता प्रकट करते हुए वक्ताओं ने रखी अपनी बात

चुनाव में मुसलमानों को मोहरा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण, हम भाईचारे के साथ देश में योगदान चाहते हैं

देश के सभी चुनाव में मुसलमानों को राजनीति के केंद्र में रखकर मोहरा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि देश व राज्य की राजनीति में मुसलमान हाशिये पर व उपेक्षित हैं। देश की राजनीति में मुसलमान कहीं भी प्रभावी नहीं है और तथाकथित वोट बैंक का शिराज़ा भी बिखर चुका है।

 Anjuman
राँची: देश व झारखंड में सुनियोजित तरीके से चल रहे मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा और घृणा अभियान के खिलाफ़ राज्यस्तरीय बैठक में राज्य के कई जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह बैठक मेन रोड स्थित होटल सरताज़ के सभागार में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी व माही के संरक्षक जुनैद अनवर ने की जबकि मंच संचालन मुस्तक़ीम आलम ने किया। 

बैठक में विशेषकर इस बात पर चिंता ज़ाहिर की गयी कि देश के सभी चुनाव में मुसलमानों को राजनीति के केंद्र में रखकर मोहरा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि देश व राज्य की राजनीति में मुसलमान हाशिये पर व उपेक्षित हैं। देश की राजनीति में मुसलमान कहीं भी प्रभावी नहीं है और तथाकथित वोट बैंक का शिराज़ा भी बिखर चुका है। मुसलमान अपनी समस्याओं में ही घिरा हुआ है और वह उस रास्ते की तलाश में जहाँ शिक्षा विकास मार्ग को प्रशस्त करता है। फिर भी, देश की विभाजनकारी पार्टियों के नेता मुसलमानों की चरित्र लिंचिंग में सभी मर्यादाओं को तोड़कर लीन है। कहीं मुसलमानों की लिंचिंग की जा रही है कहीं उसकी पहचान को संदिग्ध बनाया जा रहा है, घुसपैठिए के नाम पर दहशत पैदा की जा रही है। मुसलमानों के खिलाफ़ उन्माद और वैमनस्य का वातावरण बनाया जा रहा है, कहीं मुसलमानों से रोजगार छीनने की साजिश की जा रही है और इनके विकास के तमाम रास्तों को अवरुद्ध किया जा रहा है, जिससे मुसलमानों में एक अदृश्य बेचैनी और गुस्सा है, जबकि मुसलमानों ने संयम व भाईचारे की अद्भुत मिसाल पेश की है।

झारखंड में भी पुनः मॉब लिंचिंग गिरोह और चरमपंथी तत्व चुनाव से पूर्व सक्रिय हो गये हैं। अभी कुछ ही दिनों में राँची के महिलोंग, कोडरमा और दुमका में दर्दनाक तरीके से तीन निर्दोष मुसलमानों की हत्या कर दी गयी, जिनमें दो व्यक्ति मस्जिद के ईमाम थे। बहुत ही बेरहमी से बिना किसी कारण चरमपंथी भीड़ ने न केवल हत्या की, बल्कि इसकी फिल्म बनाकर वायरल भी किया। कोडरमा की उस हत्यारी भीड़ में पुलिस भी मौजूद थी लेकिन इस दर्दनाक घटना को न रोक सकी।

बैठक में राज्य के विभिन्न जिलों से और कई अंजुमनों के अध्यक्ष और सचिवों ने वर्तमान हालात पर अपनी बातें रखी। बैठक की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ समाजसेवी जुनैद अनवर ने कहा कि इस बैठक की मक़सद ये है कि पूरे झारखंड की तंजीमें व सामाजिक लोग संगठित होकर अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ़ हो रहे अन्याय के प्रतिरोध में आवाज़ उठाया जाए क्योंकि हमारी समस्याओं को कही भी दर्ज़ नहीं किया जाता है। यहाँ तक कि  ब्लॉक स्तर तक भी अधिकारी नहीं सुनते, बल्कि हमे दोयम दर्जे के नागरिक बनाने की देश्वयापी साजिश को अंजाम दिया जा रहा है। जब राजनीति में हमारी कोई भागीदारी नहीं है तो सभी पार्टियां हमें अपनी राजनीति का केंद्र क्यों बनाती है। हमे गालियां क्यों दी जाती है, हमपर ज़ुल्म क्यों किये जाते हैं, ऐसे में हम सभी लोग एकजुट होकर उस चिड़िया के मानिंद काम करे जो दहकती हुई आग को अपने चोंच से पानी लेकर बुझाने की कोशिश कर रही थी।

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माही व साझा मंच के संयोजक इबरार अहमद ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम व राष्ट्रीयता में कोई अंतर्विरोध नहीं है। अगर सियासत हमें प्रभावित कर रही है तो हम भी सियासत को प्रभावित करेंगे। बुनियादी चीज़ ये है कि जो आम मेहनतकश मुहब्बत करने वाले मुसलमान हैं वो हमेशा ठगे गये हैं, उन्हें न केवल नेताओं ने बल्कि अपने लोगों ने भी ठगा है। ऐसे लोगों की आवाज़ बनकर ईमानदारी से, मिल्ली दर्द लिए संगठित होकर समस्याओं के समाधान के लिए जम्हूरी तऱीके से संघर्ष किया जाना चाहिए। नफ़रत की सियासत देश को वैचारिक रूप से विभाजित करती है जिसका लाभ राजनीतिक रूप से तत्काल तो मिल जाता है लेकिन यह अंततः देश की एकता व अखंडता के लिए नासूर है।

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अंजुमन इस्लामिया, राँची के महासचिव डॉक्टर तारिक़ हुसैन ने कहा कि आज के इस नफरती माहौल में मुसलमानों को एक चुनावी मोहरा बनाकर रख दिया गया है। पक्ष या विपक्ष दोनों अपनी राजनीति मुसलमानों पर ही कर रहा है। खासकर इस समाज की बात न कोई राजनीतिक स्तर पर रख पा रहा है न ही प्रशासनिक न्याय मिल पा रहा है। अब जरूरत है कि हमें संविधान के दायरे में अपनी बात संगठित होकर दृढ़ता पूर्ण शासन एवं प्रशासन के समक्ष रख सके और जो ग़लत असंवैधानिक बयानबाजी मुसलमानों के खिलाफ़ की जा रही है इसे मजबूती से रोकने के लिए राज्यस्तर पर एक संगठन की जरूरत है जो लोकतांत्रिक तरीके से इसका प्रतिरोध कर सकें।

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वक्ताओं ने इस राज्य स्तरीय बैठक में कई गंभीर मुद्दे उठाए, जिनमें प्रमुख रूप से सांसद निशिकांत दुबे द्वारा संसद में उठाये गए सवाल को घोर साम्प्रदायिक कहा। निशिकांत दुबे का बयान विभाजनकारी है, जिसके ज़हर से समाज की फ़िज़ा विषैला हो जाएगा। सांसद के बयान की कड़ी निंदा की जानी चाहिए और संसद की कार्यवाही पंजी से इसे निकाल देना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि नेताओं द्वारा घुसपैठिया कह मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। देश और झारखंड में कोई भी मुसलमान घुसपैठिया नहीं है। घुसपैठिया शब्द केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वक्ताओं ने मॉब लिंचिंग पर देशवासियों से एकजुट होने के लिए कहा है और इसपर कठोर कानून बनाया जाए, जिसमे सजा-ए-मौत का प्रावधान हो। वक्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज मुसलमान राजनीतिक रूप से हाशिये पर हैं, फिर भी इसे निशाना क्यों बनाया जा रहा है। हमें राजनीति का मोहरा न बनाया जाए और हमारे विकास के रास्ते अवरुद्ध न किया जाए। हम देश के सभी नागरिकों के साथ सौहार्द व भाईचारे का रिश्ता चाहते हैं और एक साथ मिलकर देश के विकास के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं।

बैठक में धन्यवाद ज्ञापन माही के महासचिव मतीउर रहमान ने किया। इस बैठक में अपने उदगार व्यक्त करने वालों में जमशेदपुर से रियाज़ शरीफ़, मुश्ताक अहमद, मोहम्मद शाहिद, सिमडेगा अंजुमन के उपाध्यक्ष जावेद खान, यूथ प्रेसिडेंट सिमडेगा अंजुमन के ज़फर खान, अज़ीमुल्लाह अंसारी, हजारीबाग से इरफान अहमद, मोहम्मद फ़िरोज़ ख़लीफ़ा, महताब आलम, मोहम्मद शाहिद, चक्रधरपुर के शहज़ाद मंज़र, बैरम खान, शकील ख़ान, ताबिश अली, लातेहार से कमरूल आरफीन, फैसल अहमद, गिरिडीह से मोहसिन खलील, शकील अख़्तर इसके इलावा राँची अंजुमन इस्लामिया के उपाध्यक्ष मोहम्मद नौशाद, सदस्य मोहम्मद शाहिद टुकलु, मोहम्मद नज़ीब, सामाजिक कार्यकर्ता फ़ज़ल इमाम, इरफ़ान खान, अर्शे आज़म, वक़ील अहमद रिज़वी, आदिल सुफियान, हाजी बिलाल कुरैशी, शाहबाज़, जमैतुल इराकीन के अध्यक्ष हसीब अख़्तर,  महासचिव सैफुल हक़, उज़ैर अहमद, अधिवक्ता कलाम रशीदी, माही के मोहम्मद सलाहउद्दीन, मोहम्मद शकील, ख़ालिद सैफुल्लाह, अरशद शमीम, नदीम अख़्तर,  हाजी नवाब, नूर आलम, मोहम्मद इक़बाल, सरवर इमाम, सैय्यद मेराज हसन, मिल्लत पंचायत के सदर जावेद अहमद, हलालखोर पंचायत के मोहम्मद शमीम, सर्व इंडिया से फारूक आज़म, अनीसुर रहमान, ओरमांझी पंचायत के सदर मुंतज़िर रज़ा, एजाज़ अहमद, शादाब खान, मोहम्मद ज़ैद, फ़हीम अहमद वगैरह समेत कई जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

Edited By: Rahul Singh

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