दुमका के संताल काटा पोखर पर हूल दिवस के दिन जुटे युवा, शहीदों को किया याद, दी श्रद्धांजलि 

दुमका के संताल काटा पोखर पर हूल दिवस के दिन जुटे युवा, शहीदों को किया याद, दी श्रद्धांजलि 

संताल हूल के बाद संताल क्रांतिकारियों की विरोध जताने के लिए कोलकाता जाने के क्रम में दिगुली ग्राम में हत्या की गई थी और उनके शवों को संताल काटा पोखर में डाल दिया गया था

दुमका: रानेश्वर प्रखंड के दिगुली में स्थित संताल काटा पोखर एक ऐतिहासिक स्थल है। 1855 में संताल हूल के क्रांतिकारियों के कोलकाता जाने के क्रम में अंग्रेज सैनिकों द्वारा इसी स्थल पर संताल क्रांतिकारियों का नरंसहार किया गया था एवं उनके क्षत विक्षत शरीर को इसी पोखर में डूबो दिया गया था। संताल हूल दिवस के इस पावन अवसर पर दिसोम मरांग बुरु संताली अरिचरी आर लेगचर अखड़ा, मरांग बुरु अखड़ा  और लकड़ाबिंधा, बागजोबड़ा, गोविंदो चौक, कुड़ापहाड़ी, धोबना, दिगुली आदि गांवों के ग्रामीणों द्वारा संताल काटा पोखर, दिगुली, दुमका में संताल हूल दिवस मनाया गया।

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इस पावन अवसर पर संताल काटा पोखर परिसर में सिदो मुर्मू, कान्हू मुर्मू, फूलो मुर्मू, झानो मुर्मू, चाँद मुर्मू, भैरो मुर्मू के साथ साथ संताल काटा पोखर में शहीद अज्ञात हूल क्रांतिकारियों के नाम पूजा अर्चना की गई और उन्हें नमन किया गया।

इस पावन अवसर पर 6 बोंगा दारी, पूज्य पेड़, सारजोम यानी सखुआ का पेड़ लगाया गया। अखड़ा और ग्रामीणों ने झारखंड सरकार के द्वारा हूल दिवस 30 जून के दिन ही मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति योजना परीक्षा लेने पर रोष व्यक्त किया और कहा कि आज के पावन दिन पर परीक्षा लेना उचित नहीं था। यह संताल हूल के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ आदिवासी मूलवासियों का अपमान है। संताल हूल दिवस के पावन अवसर पर प्रशासन द्वारा संताल काटा पोखर परिसर की साफ-सफाई नहीं  करायी गई। परिसर में जंगल झाड़ी, काटा आदि उग गये हैं। अभी तक परिसर का पूरा घेराव नहीं किया गया है। इस पर अखड़ा और ग्रामीणों ने दुःख और आक्रोश व्यक्त किया है।

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अखड़ा और ग्रामीणों की मांग है कि पोखर के बीचों-बीच स्वतंत्रा सेनानी सिदो मुर्मू, कान्हू मुर्मू, चाँद मुर्मू, भैरो मुर्मू, फूलो मुर्मू, झानो मुर्मू की प्रतिमा लगवायी जाये और प्रतिमा तक आने-जाने के लिए पोखर के चारों तरफ से जोड़ा जाए। एक शहीद स्मारक भी बनाया जाय। इसके साथ-साथ संताल काटा पोखर का और सुंदरीकरण और प्रचार-प्रसार किया जाय। इस जगह के प्रचार-प्रसार के लिए 22 दिसंबर संताल परगना स्थापना दिवस पर यहां सरकारी कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाय। इस अवसर में राहुल सोरेन, राजकिशोर मरांडी, राजा किस्कु, राम प्रसाद हांसदा, सुकोल मरांडी, सिमल हांसदा, जयप्रकाश मरांडी, रमेश सोरेन, अजय मरांडी, पतरास मुर्मू, रामधन मरांडी, रतन हांसदा, सुनील मुर्मू, अनूप हेम्ब्रम, रीतय मरांडी, सुभाष मुर्मू, प्रदीप मुर्मू, मंगल मरांडी, सच्चिदानंद सोरेन, नीलमणि बेसरा, मकु टुडू, सुनीता सोरेन, शिवानी मरांडी, तिरंगी हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे।

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Edited By: Samridh Jharkhand

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