सालखन मुर्मू का ऐलान, 22 दिसंबर को रांची में करेंगे मातृभाषा विजय दिवस कार्यक्रम


जिस संथाल विद्रोह के महान वीर शहीद सिदो मुर्मू के संघर्ष और बलिदान के प्रतिफल के रूप में अंग्रेजों ने स्थापित किया था, उसी समय संताल परगना टेनेंसी कानून भी बना था। ठीक उसी प्रकार 22 दिसंबर 2003 को सालखन मुर्मू के नेतृत्व में संताली भाषा मोर्चा के तत्वाधान में एक लंबे संघर्ष के बाद संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। सालखन मुर्मू ने कहा कि इसलिए 22 दिसंबर मातृभूमि और मातृभाषा विजय का ऐतिहासिक दिन है। अंग्रेज अफसर वाल्टर शेरविल द्वारा चित्रांकित शाहिद सिदो मुर्मू का फोटो, जो पहली बार 23 फरवारी 1856 को इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ में प्रकाशित हुआ था, को प्रचारित और स्थापित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राईबल सेल्फ रूल सिस्टम व मानव अधिकार का लगातार उल्लंघन करता है । उन्होंने काह कि सेंगेल की मांग है नियम कानून में सुधार लाया जाए। समाज में संविधान और जनतंत्र को समाहित करते हुए ग्राम प्रधानों के द्वारा जुर्माना लगाने, सामाजिक बहिष्कार करने, डायन के नाम से निर्दोष महिलाओं पर प्रताड़ना और हत्या आदि को बंद करना जरूरी है। ग्राम प्रधानों को वर्तमान ₹1000 का जो मासिक मानदेय दिया जा रहा है उसको बंद करके जनतांत्रिक तरीके से चयनित ग्राम प्रधानों को यह मानदेय दिया जाए और वह ₹ 1000 नहीं कम से कम ₹ 5000 होना चाहिए। उसी प्रकार जो आदिवासी ईसाई बन चुके हैं उसके बावजूद ग्राम प्रधान और पुजारी अर्थात नायके की भूमिका अदा कर रहे हैं या अल्प वयस्क लोगों को प्रशासन की तरफ से ग्राम प्रधान नियुक्त किया जा रहा है, वह भी गलत है। यह सब संविधान व कानून के खिलाफ है। अतः इसको अविलंब बंद किया जाए अन्यथा आदिवासी सेंगेल अभियान कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो सकता है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की आज से प्रारंभ हो रही खतियानी जोहार यात्रा वास्तव में लूट .झूठ का जोहार यात्रा है। क्योंकि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने की बात जनता के साथ केवल छलावा है, राजनीतिक स्टंट व झुनझुना है।