देश में गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता बनी हुई है राक्षसों जैसी चुनौती : आरएसएस

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दतात्रेय होसबले ने देश में गरीबी, बेरोजगारी और अमीर-गरीब के बीच लगातार बढ़ती जा रही आय की असमानता को राक्षस जैसी चुनौती बताते हुए इस हालात पर चिंता जताई है। दतात्रेय होसबले ने कहा कि, पिछले 75 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है लेकिन देश में गरीबों की संख्या, बेरोजगारी की दर और आय की असमानता अभी भी राक्षसों की तरह चुनौती बनी हुई है और इसे खत्म करना बहुत जरूरी है।

भारत की तेज गति से हो रही आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए होसबले ने कहा कि भारत विश्व की छह बड़ी अर्थव्यवस्था वाले बड़े देशों में से एक हो गया है लेकिन देश में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के एक प्रतिशत अमीर लोगों की आय देश के सभी लोगों की आय का 20 प्रतिशत है जबकि देश की आधी आबादी (50 प्रतिशत) के हिस्से में कुल आय का सिर्फ 13 प्रतिशत हिस्सा ही आता है।
संघ नेता ने देश की हालत के लिए पिछली सरकारों की गलत आर्थिक और शिक्षा नीति को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने हालात को सुधारने के लिए अच्छा काम किया है। दस साल पहले 22 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे जो अब सिर्फ 18 प्रतिशत ही रह गए हैं। पिछले दस वर्षों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हुई है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी आने वाले वर्षों में गरीबी दूर करने में सहायक हो सकती है।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भारत के लिए कई मोचरे पर काम करना होगा। सरकार के साथ-साथ समाज को और देश के उद्योगपत्तियों को भी आगे आना होगा। युवा पीढ़ी को भी नौकरी ढूंढने की बजाय स्वरोजगार का रास्ता अपना कर नौकरी देनेवाला बनना होगा। समाज के अंदर श्रम के प्रति सम्मान की भावना जगाने और लोगों की मानसिकता को भी बदलने की जरूरत है। भारत को समृद्धशाली देश बनाने के लिए सभी को मिलकर कई मोचरें पर एक साथ काम करना होगा।