कारगिल विजय दिवस की गाथा, 527 वीर सैनिकों की शहादत को कभी नहीं भूलेगा हिंदुस्तान

1999 हर साल की तरह भारतवासियों के लिए साधारण नहीं था. वह 26 जुलाई आज भी देशवासियों को भलीभांति याद है. यह तारीख हर तारीख की तरह आम नही हैत्र यह वह तारीख है जब हमारे भारत देश के वीर सपूतों ने अपने देश क लिए जान गवाई थी. हमारा भारत देश सिर्फ 1947 में ही आज़ाद नहीं हुआ. उसके बाद भी हमारे भारत पर बुरी नज़र डालने वाले कई देश थे. इसकी आज़ादी के लिए बार-बार और कई बार लड़ना पड़ा. उन्हीं में से एक तारीख थी, साल 1999 की 26 जुलाई जिसे आज हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं.

आपको बता दें कि पाकिस्तान को वहां से खदेड़ने में पूरे 60 दिन हमरे देश के सैनिकों ने युद्ध किया. ५ मई से 26 जुलाई तक चलने वाले इस युद्ध में हमारे कई जाबांज शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने अपने शौर्य के बूते पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.
आज कारगिल विजय दिवस है. आज पूरा देश उन वीरों के पराक्रम से गौरवान्वित हो रहा है. पाकिस्तान से इस युद्ध में हमारे 527 जवान शहीद हो गए थे. मगर उन शहीदों और जाबांजों के कारण आज हमारा देश पाकिस्तान के उन नापाक इरादों से बरी हो पाया है. आज उन 527 शहीदों को याद कर देश में कारगिल दिवस मनाया जाता है.
उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस मौके पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और उन्हें नमन किया जाता है. कारगिल में विजय भारत के संकल्पों की जीत थी. भारत के शक्ति और धैर्य की जीत थी. भारत की गरिमा और अनुशासन की जीत थी. भारतीय सेना के उन सैनिकों के सहस और क़ुरबानी को याद हर साल 26 जुलाई दिन के भारत देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है.
इसी तरह हर साल भारत हमारे उन शहीद सैनिकों को याद कर नमन करता रहेगा. उनके साहस, उनकी कुर्बानी, उनके बलिदानों को हमेशा याद करेगा. आज हर व्यक्ति सरहद पर तैनात सैनिकों के वजह से सुरक्षित महसूस करता है. आगे भी न जाने हमे अपने देश के लिए कितनी लड़ाईयां लड़नी पड़ेंगी. मगर ढाल बनकर सबसे आगे हमारे देश के सैनिक रहेंगे.
सरकारें आती है और जाती हैं. मगर एक सैनिक हमेशा अपने देश के लिए तत्पर रहता है, जो लोग देश के लिए जीने और मरने की सोच रखते हैं वो अमर हैं. सैनिक न केवल आज के लिए बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी को भी सुरक्षित करते हैं. राष्ट्र की ताकत पहले सैनिकों से है और उसके बाद शासन और प्रशासन से.
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