#JantaCurfew कोरोना पर जनता कर्फ्यू और मानव जाति के नाम यह खुली पाती

राहुल सिंह

हर दिन एक उग्रपंथी हिंदू नेता व एक उग्रपंथी मुस्लिम नेता के बयानों की टीआरपी बटोर व जनता भड़काऊ पैकेजिंग तैयार करने वाला टीवी चैनल कोरोना का खतरे बता रहा है. लोगों को सतर्क, सावधान कर रहा है, क्योंकि उसे समझ में आ गया है कि वह न्यूज पैकेजिंग अभी हमें इस संकट से नहीं बचा पाएगा. देश व धर्म के बनाए खांचों में बांटकर समझें तो हिंदू हिंदू से ही डरा हुआ है, मुस्लिम मुस्लिम से, अमेरिकी अमेरिकी से, चीनी चीनी से की कहीं सामने वाले को कोरोना न हो और वह हमें न फैल जाए.
कोरोना से दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका में हालात बदतर हैं तो दूसरे देशों खासकर पिछड़े व विकासशील की बात ही छोड़ दीजिए. अमेरिका में हर दो घंटे में एक नागरिक मर रहा है.
दुनिया को न जाने कितनी बार नष्ट कर देने के हथियार से लैस अमेरिका अब कोरोना से बचाव के उपाय ढूंढ रहा है. रिसर्च कर रहा है. जवानी के दिनों में लड़कियों संग प्ले ब्वाॅय पर छपने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब लगातार कोरोना की स्थिति की मानिटरिंग कर रहे हैं. छोटी बातों पर दुनिया के दूसरे देशों को धमकाने वाले ट्रंप का दंभ अब चिंता में बदल चुका है.
आज न्यूयार्क टाइम्स की लीड खबर है कि अमेरिकी सरकार व वहां की कंपनियों ने कोरोना से बचाव के लिए मास्क निर्माण में तेजी लाने के लिए तमाम उपाय तेज कर दिए हैं. दुनिया भर को हथियार बेचकर डाॅलर कमाने वाला अमेरिका अब अपने नागरिकों को बचाने के लिए मास्क बनाने में खुद को झोंक रहा है.
अब दुनिया भर पर राज कर चुके इंग्लैंड की कहानी जान लीजिए. वहां का फूड बैंक यानी खाद्यान्न आपूर्ति व्यवस्था गंभीर संकट की चपेट में आ गया है. यह संकट वहां के लोगों द्वारा एक बिलियन की भय से की गयी खरीदारी से उत्पन्न हुआ है. यह खबर ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में एक द इंडिपेंडेंट की है. इस न्यूज वेबसाइट ने इस संकट को लेकर स्पेशल एडिटोरियल लिख कर सरकार से कहा है कि वह खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति की व्यवस्था करे. यह वेबसाइट अब सुपर मार्केट के लिए नवीनतम तय किए गए नियम कानून देश वासियों को बता रहा है. लंदन के एक बड़े खाद्यान्न एक्सपर्ट व इसकी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काम करने वाले जस्टिन बायम कह रहे हैं कि अपने जीवन में पहली बार उन्होंने लंदन में खाने-पीने की चीजों की कमी देखी है, यह अविश्वसनीय लगता है.
चीन के राष्ट्रपति शी ने कहा है कि वह कोरोना से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए काम करने को तैयार हैं, ताकि लोगों की सुरक्षा हो सके. शी ने यूरोप के प्रमुख देशों में बड़ी संख्या में कोरोना से मारे गए लोगों को लेकर संवेदना प्रकट की है. उन्होंने फ्रांस के लिए सहयोग करने का भरोसा दिया है. ये वही शी हैं, जिनकी वैश्विक आक्रमकता चर्चा में रहती है, जिन्हें एक दफा इकोनाॅमिस्ट ने अमेरिका के राष्ट्रपति से भी अधिक ताकतवर नेता करार दिया.
T 3476 – T 3476 – -The film fraternity pleads and cautions for safety and precaution .. on CoVid 19 .. an initiative by the Industry and the CM Maharashtra pic.twitter.com/xjZsBI2diu
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) March 20, 2020
78 साल के अभिनेता अमिताभ बच्चन कह रहे हैं कि उन्होंने तो पहली बार ऐसे हालात देखे हैं. भारत की कुछ राज्य सरकारों ने लाॅक डाउन किया है, कुछ ने ऐसा करने का संकेत दे दिया है. प्रधानमंत्री मोदी की अपील है जो जहां हैं वहीं रुकें. सरकार के बयानों में यह छिपा संकेत भी मिलता है संकट गहराया तो बड़े और कठोर कदम के लिए देशवासी तैयार रहें.
तो इस वैश्विक व अभूतपूर्व संकट का सबसे बड़ा संदेश क्या है. संदेश यही है कि हम मानव हैं, हम एक हैं, हमारी जिम्मेवारी है कि हम अपने विश्व को सुंदर, साफ, सुरक्षित, स्वस्थ व संपन्न बनाएं, बिना वैश्विक से लेकर निजी ईष्र्या-द्वेष पाले. क्योंकि, किसी भी संकट का संक्रमण होता है. पाकिस्तान की कोरोना की मौत मरने की खबर टाइप की पत्रकारिता करने वाले मूर्खाें को यह समझ में भी आना चाहिए कि अगर वह कोरोना की मौत मरेगा तो बगल में स्थित भारत इससे कितना वंचित रहेगा, कब तक वंचित रहेगा, जब चीन के वुहान के मांस बाजार में उत्पन्न हुआ कोरोना सात समुंदर पार अमेरिका और फिर यूरोप में फैल गया.
हमी तो थे एक महीने पहले जो दिल्ली में हथियार, पेट्रोल बम, बारूद लेकर कुछ दिन पहले एक-दूसरे के घरों पर हमले कर रहे थे. दर्जनों निहत्थों को मौत के घाट उतार दिए और अब कोरोना आया तो दुबके सहमे हैं, एक दूसरे से यह उम्मीद लगाएं हैं कि वे भी बचें, हम भी बचें, हम सब बचें.
दुनिया में न जाने कितनी बीमारियां हैं, जिनका अबतक हम मानव सार्थक इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं. हमने तो पृथ्वी के दूसरे जीवों का भी जीना मुश्किल कर दिया. उन्हें लगातार हाशिये पर ढकेलते चले गए. अगर ऐसा ही करते रहेंगे तो कोरोना या ऐसे कोई और संकट आने वाले दशकों व सदियों में भी उत्पन्न होगा.
जनज्वार की रिपोर्ट है कि अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, वर्ष 1960 के बाद से पनपी नयी बीमारियों और रोगों में से तीन चौथाई से अधिक का सम्बन्ध जानवरों, पक्षियों या पशुओं से है और यह सब प्राकृतिक क्षेत्रों के विनाश के कारण हो रहा है. कोरोना वायरस के साथ भी यही बात है. दुनिया भर में प्राकृतिक साधनों का विनाश किया जा रहा है और जंगली पशुओं-पक्षियों की तस्करी बढी है. मनुष्य पृथ्वी की एकांतिक जैव रचना नहीं है, उसका अस्तित्व दूसरे जीवों के अस्तित्व पर निर्भर करता है.
कोरोना ने यह भी संकेत दिया है कि हम न सिर्फ मानवतावादी बनें, बल्कि जीववादी बनें. यानी अगर हम प्रकृति की खुद को सर्वाेच्च रचना मानते हैं तो हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने कृत्यों से पृथ्वी को सभी जीवों के रहने योग्य बना रहने दें. एकाधिकारवादी मानवतावाद भी बेहद खतरनाक है, यह बात ध्यान रखिएगा.