कोलकाता में 57 परिवार किये गये विस्थापित, सामाजिक संगठनों ने उठाई पुनर्वास व मुआवजे की मांग
गैर कानूनी व मनमाने तरीके से अंजाम दिया गया

मुक्तो कंठो महिला समिति, श्रमजीवी महिला समिति, पश्चिम बंग खेत मजूर समिति, पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने संयुक्त वक्तव्य में कहा अनुच्छेद 21 के तहत नागारिकों को हासिल है आजीविका व आश्रय का अधिकार
कोलकाता: कोलकाता के माझेरहाट रेलवे स्टेशन के सामने एसएमपीके सेंटेनरी हॉस्पिटल की चाहरदीवारी के निकट हेलेन केलर सारणी में घरों के विध्वंस और उसमें रहने वाले लोगों के अवैध निष्कासन की विभिन्न सामाजिक संगठनों ने निंदा की है।ने एक वक्तव्य जारी कर इस कृत्य की निंदा की है।

हालांकि निवासियों को बिना पूर्व सूचना के विध्वंस को पूरी तरह से गैर कानूनी व मनमाने तरीके से अंजाम दिया गया है। बयान में कहा गया है कि घर ध्वस्त कर दिये गये जबकि सारा सामान अंदर ही था, इस कार्रवाई से 57 परिवार बेघर हो गये और गंभीर संकट में पड़ गये। इस अवैध कार्रवाई ने महिलाओं, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गाें एवं बच्चों के सामने अत्यधिक मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। वे अब सड़क पर हैं और उनका कोई ठिकाना नहीं है, जहां वे जा सकें।
बयान में उचित प्रक्रिया के अभाव और निवासियों के अधिकारों के सम्मान की घोर उपेक्षा किये जाने की बात कही गई है और कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को आश्रय और आजीविका का अधिकार हासिल है। इसमें पुनर्वास के बिना जबरन बेदखली के खिलाफ भी अधिकार शामिल है।
संगठनों ने मांग की है कि हेलेन केलर सारणी के विस्थापित किये गये लोगों को तत्काल पुनर्वास किया जाये। अवैध बेदखली और विध्वंस के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजा दिया जाये। संगठनों ने इस दिशा में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।