राष्ट्रभक्ति केवल भावना नहीं, जीवन व्यवहार भी है : केएन गोविन्दाचार्य

केएन गोविन्दाचार्य

उसी प्रकार यशवंत राव जी संघ स्वयंसेवकों की तीन किस्में बताते थे. पहली श्रेणी में ऐसे स्वयंसेवक हैं जो संघ के नहीं हैं, जैसे स्वामी विवेकानंद, ऋषि दयानंद, वीर सावरकर, महात्मा गाँधी आदि जो कभी संघ की शाखा मे नहीं गए, गणवेश नहीं पहनाख् गुरुदक्षिणा नहीं की, पर देशभक्ति, त्यागपूर्ण जीवन में किसी भी स्वयंसेवक से कमजोर नहीं माने जायेंगे. दूसरी श्रेणी मे वैसे लोग हैं जो संघ की शाखा से संस्कार पाए हैं और उन्ही संस्कारों के प्रकाश में उनका जीवनयापन रहा है.
दुर्भाग्य से ऐसी तीसरी श्रेणी मे यत्र-तत्र दिखती है जिसमें ऐसे लोग हैं जो अपने को संघ का स्वयंसेवक कहते हैं पर उनके जीवन में स्वयंसेवक का जीवन व्यवहार अत्यंत क्षीण है.
पहली श्रेणी को वे स्वयंसेवक हैं, संघ के नहीं, ऐसा कहते थे. दूसरी श्रेणी को वे कहते थे स्वयंसेवक है संघ के भी हैं. तीसरी श्रेणी को वे स्वयसेवक नहीं, संघ के हैं, ऐसा श्रेणीकरण करते थे.
उनका निर्देश रहता था कि पहली और दूसरी श्रेणी पर ध्यान दो, तीसरी के प्रति उत्साह न दिखाओ.