मनरेगा से जुड़े मुद्दों पर आंदोलन करेंगे जन संगठन, दिल्ली में धरना की तैयारी

मनरेगा से जुड़े मुद्दों पर आंदोलन करेंगे जन संगठन, दिल्ली में धरना की तैयारी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के मनरेगा श्रमिकों का एक साल से अधिक समय से बकाया भुगतान नहीं होने और इस एक्ट को खत्म करने की किसी भी कोशिश के विरोध में जन संगठन आंदोलन की तैयारी में हैं। मंगलवार को कोलकाता में राइट टू फूड एंड वर्क कैंपन, पश्चिम बंगाल के एक प्रेस कान्फ्रेंस में ऐलान किया गया कि फरवरी से मई 2023 तक दिल्ली में नरेगा बचाओ धरना शुरू किया जाएगा। कैंपन ने अपने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि नरेगा संघर्ष मोर्चा जनसंगठनों और ट्रेड यूनियनों का एक राष्ट्रीय मोर्चा है और इसके बैनरर तले आंदोलन किया जाएगा।

जन संगठनों ने अपने बयान में कहा कि पश्चिम बंगाल के मनरेगा श्रमिकों के बकाया मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रही है। इस मुद्दे को लेकर 19 नवंबर 2022 को पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति ने एक जनहित याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने नौ जनवरी 2023 को एक आदेश पारित किया। इस आदेश में कहा गया है कि पीड़ित मजदूरों का विवरण जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। इस जनहित याचिका में नए कार्याें की शुरुआत, भ्रष्टाचार से निबटने के लिए सोशल आडिट जैसे मुद्दों को भी उठाया गया। इस याचिका को लेकर राज्य व केंद्र सरकार ने याचिककर्ता को कोई जवाब नहीं दिया। बयान में कहा गया है कि वे मनरेगा के लिए एक उच्च तकनीक एमआइएस का दावा करते हैं, लेकिन इसकी जिम्मेवारी समिति पर डाल दी गयी है। बयान में कहा गया है कि इसके बावजूद जन संगठन संघर्ष जारी रखेंगे।

मनरेगा को समाप्त करने को लेकर चिंता

प्रेस वक्तव्य में मनरेगा को समाप्त करने की आशंकाओं को लेकर चिंता जाहिर करते हुए इसे गरीबों के लिए जीवन रेखा बताया गया है। यह कहा गया है कि अन्य कल्याणकारी योजनाओं की तरह मनरेगा में भी कमी गयी है और वर्ष 2022-23 में इसके बजट को 25 प्रतिशत कम कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मननेगा का बजट 25.2 प्रतिशत कम कर 73 हजार करोड़ रुपये कर दिया था। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत वित्तीय आवंटन 61, 500 करोड़ रुपये से बढा कर 1, 11, 500 करोड़ रुपये संशोधित अनुमान स्तर तक किया गया था। अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि दो लाख करोड़ रुपये का आवंटन मनरेगा श्रमिकों को उनका कानूनी अधिकार देने में सक्षम करेगा।

बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य के कार्यक्रमों के जांच की के लिए टीम भेजने की प्रवृत्ति अविश्वास को दिखाता है। यह लोकतंत्र में संघीय ढांच के साथ बड़ी समस्या का संकेत है। यह सोशल आडिट की अंतर्निहित प्रणाली के टूटने का भी इशारा करती है। सत्ता और भ्रष्टाचार की इस लड़ाई में सबसे कमजोर वर्ग की आबादी को और अधिक जोखिम में डाल दिया है, जिसके खिलाफ राष्ट्रीय अभियान ने दो फरवरी 2023 को मनरेगा कार्य दिवस पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन, प्रदर्शन और प्रतिनियुक्तियों की एक श्रृंखला की योजना बनायी है।

 

Edited By: Samridh Jharkhand

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