झारखंड विधानसभा मानसून सत्र: सत्ता और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस, सदन में हंगामा
जब विधानसभा बनी 'थिएटर', सवालों ने ली छुट्टी!
रांची: झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन हुए हंगामे में प्रश्नकाल की कार्यवाही बाधित हो गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक और नारेबाजी के दौरान बैठक को दो बार स्थगित करना पड़ा। सदन के बाहर और अंदर, दोनों ही जगहों पर सरकार और विपक्ष ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए और कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी.
प्रश्नकाल में हंगामा

सदन में ढाई घंटे तक चली खींचतान
इसके बाद, जैसे ही सभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, विपक्ष के नेता और सदस्य फिर से वेल में पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत सरकार से जवाब मांगा। सत्ता पक्ष के विधायक भी जवाब देने के लिए तैयार थे, जिससे माहौल और गर्म हो गया। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल भी सदन में मौजूद रहा.
विशेषाधिकार हनन और नेता प्रतिपक्ष का बयान
आज के सत्र में एक और बड़ा मुद्दा रहा विशेषाधिकार हनन का, जिस पर कार्रवाई के लिए स्पीकर ने समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में किसानों की भूमि का मुद्दा उठाया और सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि 2012 में आईआईएम और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण के खिलाफ लोगों ने विरोध किया, लेकिन सरकार ने फिर भी जबरन अधिग्रहण की कोशिश की। इस पर सरकार की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया.
विधानसभा में मुख्यमंत्री नगड़ी जमीन को लेकर घोषणा करें
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि विधानसभा में नगड़ी की किसानों के रैयती जमीन को लेकर घोषणा करे कि जिस तरह से वहां के किसान 2012 से पहले उस जमीन का वे मालगुजारी रसीद कटाते थे उसी तरह से कटेंगे और वहां लोग खेतीबाड़ी कर सके. इन दोनों मुद्दों पर सरकार विधानसभा में जवाब दे.
सरकार-विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप
सत्ता पक्ष का आरोप था कि विपक्ष सिर्फ हंगामा कर ध्यान भटकाना चाहता है, जबकि विपक्ष ने कहा कि सरकार ज़रूरी मुद्दों पर जवाब देने से बच रही है। किसान, बेरोजगारी और स्थानीय मुद्दों पर ठोस कार्रवाई ना होने से आम जनता में निराशा फैली है.
बता दें की 22 अगस्त की दूसरी पाली में राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट, जिसकी राशि 4296 करोड़ 62 लाख रुपये है, चर्चा के बाद सदन से पारित कराएगी। सोमवार को कार्यवाही शुरू होने से पहले सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायक तख्ती और बैनर लेकर सदन के बाहर प्रदर्शन करते दिखे।
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