झारखंड में लाॅकडाउन में भूख से एक और मौत, सात साल पहले हटा दिया गया था मनरेगा सूची से पिता का नाम

रांची : झारखंड में भूख से एक और मौत का मामला सामने आया है. लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के हेसातू गांव में पांच साल की निमानी की भूख व भूख जनित कारणों से मौत हुई है. यह घटना शनिवार शाम की है और इसके बाद अर्थशास़्त्री ज्यां द्रेज ने परिवार के लोगों से मुलाकात की और घर का मुआयना करने पर पाया कि उनके यहां अनाज नहीं है. निमानी की मां कलावती देवी ने इस बारे में कहा कि उसने चार-पांच दिनों से खाना नहीं खाया था और उनके घर में किसी तरह का अनाज नहीं है. बच्ची के पिता जगलाल भुइयां ईंट भट्ठे में काम करते हैं. जगलाल भुईयां की बेटी की जब मौत हुई तब वे लातेहार जिले में दूसरी जगह ईंट भट्ठे में काम को लेकर फंसे हुए थे.

जगलाल भुईंया होली में घर आये थे और पर्व मनाने के बाद अपने दो बच्चों को लेकर ईंट भट्ठे में काम करने चले गए. लाॅकडाउन के कारण ईंट भटठे में उन्हें मजदूरी नहीं मिल पा रही थी और वे इस कारण घर पैसे नहीं भेज पा रहे थे. इस दौरान करीब दो महीने की बंदी में उनकी पत्नी के जनधन खाते में हर महीने आने वाली 500 रुपये की सहायता राशि आयी, जबकि बच्चों को स्कूल की ओर से एमडीएम का सूखा अनाज व कुछ पैसे मिले थे. लाॅकडाउन के दौरान अक्सर परिवार के पास कोई अनाज नहीं होता और कभी पड़ोस से मदद मिल जाती तो कभी किसी से कर्ज लेकर गुजर चल रहा था.
इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं है और मुखिया के पास मौजूद आकस्मिक निधि की ओर से मिलने वाला अनाज भी नहीं मिला. इस संबंध में बताया गया कि आकस्मिक निधि का अनाज खत्म हो गया है और प्रखंड प्रशासन से इसकी मांग की गयी है, जो की अब तक मिला नहीं है. बच्ची की मौत के बाद प्रखंड प्रशासन की ओर से 40 किलो अनाज व पांच हजार रुपये की सहायता की गयी.
वहीं, एसडीओ सागर कुमार ने कहा कि बच्ची की मौत भूख से नहीं हुई है, बल्कि बीमार पड़ने से हुई है. वह पड़ोस के बच्चों के साथ तलाब में नहाने गयी थी और उसी से बीमार हो गयी जिससे उसकी मौत हो गयी.
इस घटना के बाद झारखंड भोजन के अधिकार ने मांग की है कि जन वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक किया जाए. इसके साथ ही गांव में सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की जाए और मजदूरों को आय में सहयोग दिया जाए और मनरेगा से रोजगार बढाया जाए.