चतरा: 20- 22 लाख में बिकती है नौकरियां (Exclusive)
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निष्पक्ष जांच से कई अधिकारियों की खुल सकती है कलई
-विजय शर्मा
टंडवा(चतरा): भूमि सत्यापन केस सख्या 52 /17-18 कुमरांग खुर्द, खाता सख्या 36, प्लॉट नंबर 207, रकवा 0.70 एकड तथा प्लॉट सख्या 211, रकवा 0.70 डिसमिल कूल सत्यापित रकवा 1.40 एकड जमीन की फर्जी जमाबंदी टंडवा अंचल कार्यालय के द्वारा रैयत अमृत महतो के नाम पर किया गया है। जमीन से संबंधित फर्जी जमाबंदी खेल का मास्टर माइंड संजय महतो है, जो अंचलाधिकारी (सीओ) एवं कोल परियोजना के अधिकारियों की सांठ- गांठ से पुरे घटनाक्रम को बखूबी अंजाम देता आ रहा है। फर्जी जमाबंदी के इस खेल में टंडवा अंचल के पूर्व तथा वर्तमान अधिकारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।
खेल का मास्टर माइंड संजय महतो
संजय कुमार के पिता अमृत महतो का जन्म वर्ष 29 मई 1954 को हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड के पूनाई गांव मे हुआ था। अमृत महतो वन विभाग मे 19 मई 1973 को नियुक्ति हुए थे। वे टंडवा प्रखंड के अंतर्गत वनपाल के पद पर वर्ष 1976 में आए, फिर वह ग्राम होन्हे में किराए के मकान में रहने लगे। वहां रहते हुए उन्होंने कुछ जमीन भी खरीदा, लेकिन हैरत की बात यह है कि लालच में पड़कर उनका दुसरा पुत्र संजय कुमार अम्रपाली कोल परियोजना क्षेत्र के लगभग तमाम गांव में फर्जी हूकूमनामा, फर्द रिपोर्ट रसीद लगभग वर्ष 1942, 1943, 1944वीं का बना लिया। जिसका जमींदार के द्वारा जमा किए गए रिटर्न पंजी की सूची, थ्री ए में कोई भी रिकॉर्ड टंडवा अंचल कार्यालय में नहीं है, बावजूद इसके अंचलाधिकारी रैयतो के साथ आंख- मिचौली का खेल खेलवा रहे हैं। इस संबंध मे अंचल कार्यालय के द्वारा अभी तक कोई भी कार्रवाई नही हो पाई है। ऐसे में अब कुमरांग खुर्द होन्हे के रैयत मिलकर अंचल कार्यालय मे भूख हड़ताल पर बैठकर अंचल अधिकारी को जगाने का मन बना चुके हैं।
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वनपाल के जन्म से पहले ही टंडवा के जमींदारों ने कैसे लिख दी जमीन, जांच का विषय
हजारीबाग जिले में जन्में वनपाल अमृत महतो को टंडवा होन्हे गांव के जमींदारों ने उनके जन्म से पहले ही हजारीबाग जाकर उन्हें लगभग 40 से 50 एकड़ जमीन का मालिक कैसे बना दिया, यह जांच का विषय है। जबकि टंडवा प्रखंड के 95 प्रतिशत लोगों के पास एक साथ इतनी जमीन नहीं है। टंडवा क्षेत्र में महत्वकांक्षी एनटीपीसी एवं कोल परियोजना खुलने के बाद सीसीएल अधिकारी और सीओ की मिलीभगत से जमीन की फर्जी जमाबंदी कर रेवडियो की तरह नौकरियां बांट दी गई, जिसमें करोड़ो- अरबो रूपए की बंदरबांट की गई।
फर्जी जमाबंदी के सहारे सीसीएल कोल परियोजना में 20 से 22 लाख रुपये में बेचीं जाती है नौकरियां
फर्जी जमाबंदी खेल का मास्टर माइंड संजय कुमार के द्वारा टंडवा स्थित सीसीएल कोल परियोजना में नौकरी बेचने का ठेका 20 लाख से 22 लाख रुपये में तय किया जाता है, जिसका मौखिक रूप से बात अक्सर सामने आता रहता है। जमीन की अवैध जमाबंदी के इस खेल मे टंडवा अंचल के सीओ एवं सीसीएल अधिकारियो की भी कमीशन के तौर पर एक मोटी रकम दी जाती है। मामला जो भी हो, पर इतना तो तय है कि बिना अंचलाधिकारी की मिलीभगत से इस खेल को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच पूर्व और वर्तमान दोनों ही अधिकारियों पर होनी चाहिए, ताकि स्थानीय भू- रैयतो को न्याय मिल सके।
सीसीएल को भी चकमा देकर संजय ने प्राप्त कर ली नौकरी
अमृत महतो (वनपाल) के तीन पुत्र एवं एक सबसे छोटी पुत्री है। बडें पुत्र का नाम मनोज कुमार, दुसरे पुत्र संजय कुमार तथा तीसरा अजय कुमार है। संजय कुमार जिसका जन्म तिथि 1 जनवरी 1983वीं का, फर्जी आधार संख्या एवं नौवी पास का जाली कागजात बनाकर सीसीएल में नौकरी कर रहा है, जबकि संजय कुमार का छोटा भाई अजय कुमार का जन्म तिथि 10 अक्टूबर 1980 इसवीं का सभी प्रमाण पत्र देकर वह भी सीसीएल में ही नौकरी कर रहा है। लेकिन सीसीएल के साथ धोखाधड़ी कर संजय कुमार अपने छोटा भाई अजय कुमार से अधिक दिनों तक सीसीएल में सेवा करेंगे। अपने सगे छोटे भाई से 3 वर्ष उम्र कम करवाकर एक ही विभाग में नौकरी करे तो सीसीएल प्रबंधन को इसपर कोई एतराज नहीं। संजय कुमार के विरुद्ध सीसीएल के वरीय अधिकारी कोई कार्रवाई इसलिए नहीं करते हैं, क्योकि संजय कुमार के आदेशानुसार ही कोई काम सीसीएल में होता नजर आता है।
Edited By: Samridh Jharkhand
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