दुमका में फादर स्टेन स्वामी शहादत दिवस कार्यक्रम का आयोजन, आदिवासी हित में आगे आएं लोग

दुमका : जोहार मानव संसाधन विकास केंद्र, दुमका के सभागार में फादर स्टेन स्वामी के प्रथम शहादत दिवस कार्यक्रम का मंगलवार को आयोजन किया गया। शहादत दिवस के अवसर पर जोहार सभागार में स्मृति सभा सह परिचर्चा कार्यक्रम आयोजन किया गया।

सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद सोरेन उर्फ छोटा बाबू ने विकास मुद्दों पर अपना विचार साझा करते हुए कहा कि वर्तमान परिवेश में सुदूर ग्रामीण एरिया के लोगों के मूलभूत सुविधा से वंचित लोगों को हक दिलाने के लिए कार्य होने की जरूरत है। हम सभी अपने अलग-अलग क्षेत्रों में समाज के उत्थान विकास के लिए अलग.अलग माध्यम से लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं में आदिवासी सामाजिक दृष्टिकोण होने की जरूरत है, जब तक हम आदिवासियों की समस्याओं को नहीं समझेंगे उनके प्रति स्नेह यह कार्य करने की प्रेरणा नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को विभिन्न तरह कल्याणकारी योजनाओं कानून की जानकारी होना बहुत जरूरी है। जानकारी के साथ-साथ हक अधिकार पाने के लिए कौशल विकास होना अति आवश्यक है प्रखंड कार्यालय से लेकर जिला करैरा के सरकारी प्रशासनिक गतिविधि तंत्रों की जानकारी ना होने के कारण पाक अधिकारों से ग्रामीणों को वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर एक जन मुद्दों को लिखित रूप में जनप्रतिनिधियों विभागीय अधिकारियों के समक्ष देना बहुत जरूरी है लिखित आवेदनों को निगरानी कर हक अधिकार और समाज के लिए कार्य कर सकते हैं।
इस अवसर पर डीएम सलामन ने सामाजिक कार्यकर्ता एवं आदिवासी विकास मुद्दों पर अपना विचार साझा किया। उन्होंने स्टेन स्वामी को आदर्शाें का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम सभी सामाजिक कार्यकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग माध्यम से समाज के वंचित लोगों के लिए एक कार्य कर समाज सेवा में से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन आदिवासियों की अस्मिता अस्तित्व की पहचान है। पूर्वजों की धरोहर की संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। जल जंगल जमीन खत्म होने से आदिवासियों की पहचान अस्तित्व सब खत्म हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन और आदिवासियों की अस्मिता को संरक्षण कायम रखने के लिए समूह एकता के साथ जन्मदिन मनाने की जरूरत है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं अधिकार से वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक हम संविधान द्वारा प्रदत्त का अधिकार एवं सरकार की नीतियों की जानकारी नहीं होगी तब तक सरकार में प्रशासनिक अधिकारी हमारे अधिकारों से वंचित करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी दृष्टिकोण होना बहुत जरूरी है। जब तक आदिवासी दृष्टिकोण नहीं होगा तब तक सामाजिक क्षेत्रों में कार्य नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पेसा कानून, सीएनटी-एसपीटी , माइनिंग नीति को लेकर जन आंदोलन की जरूरत है।
इस अवसर पर पीयूसीएल, दुमका गोटा भारत सिदो कन्हू हुल वैसी, दुमका, सी आर आई, येसु जहेर दुधनी के कैंडिडेट, संत जेवियर कॉलेज महारों के प्राचार्य सह प्रतिनिधिगण आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफ़ल आयोजन में जोहर के डायरेक्टर जॉन फेलिक्स, पंकज कुजूर, सोलोमोन, बेंजी, विंसिंट मुर्मू, संताल परगना महिला महाविद्याल के प्राचार्य आदि का योगदान रहा। कार्यक्रम सह मंच संचालन सुशांत सोरेन ने किया और पंकज कुजूर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।