चुनरभुज-बांसकोदरी आदिवासी टोला में बुनियादी सुविधाएं नहीं, ठगा महसूस करते हैं ग्रामीण

दुमका : काठीकुंड प्रखंड के बोड़तल्ला पंचायत के खिलौड़ी गांव का चुनरभुज और बांसकोदरी आदिवासी टोला आजादी के 77 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। चुनरभुज टोला में करीब 42 परिवार है और बांसकोदरी टोला में करीब 20 परिवार रहते हैं। सभी पहाड़िया समुदाय से आते हैं। इन दोनों टोलाओ में न बिजली है, न सडक है। न चापाकल है और न ही पूरे टोला में पीसीसी ढलाई है।

ये दोनों टोला सड़क मार्ग से कटे हुए हैंण् सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक गर्भवती और मरीजों को हॉस्पिटल जाने में दिक्कत का सामान करना पड़ता है। उसे खटिया पर एक किलोमीटर दूर नमोडीह में ले जाना पड़ता है, तब जाकर एम्बुलेंस से हॉस्पिटल भेजा जाता है। सडक नहीं होने के कारण सरकारी आवास बनाने के लिए ईट, पत्थर आदि लाने में भी बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है और महंगा भी पड़ जाता है। युवा ग्रामीण दिलीप देहरी का कहना है कि वह चुनाव में वोट देते आये हैं, लेकिन किसी तरह का विकास नहीं हुआ हैण् ग्रामीणों का कहना है कि टोलों को पक्की सड़क से जोड़ा जाये और टोले में आधा अधूरा पीसीसी ढलाई को पूरा किया जाय।
आजादी के इतना वर्ष होने के बाद भी इन दोनों टोलों में बिजली का नामो निशान नहीं हैण् न ही इन दोनों टोलों में कोई बिजली का खम्भा है और न ही बिजली का तारण् जबकि ग्रामीणों ने बिजली विभाग में बिजली के लिए कई बार गुहार लगा चुका है। युवा दिनेश देहरी का कहना है कि बिजली नहीं होने के कारण रात में बच्चो को पढने-लिखने में दिक्कत हो रही है। रात में आने-जाने में बहुत दिक्कत होता है और सांप, बिच्छु के काटने का खतरा बना रहता हैण् इसके लिए आवेदन भी दिया गया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इन सभी मुलभुत समस्याओं के निदान के लिय ग्रामीण करीब 10 वर्षो से प्रयास कर रहे हैं। जन प्रतिनिधि, जनता दरबार में, बिजली विभाग में गुहार लगाते आये हैं लेकिन कोई समाधान नही हो रहा है। जन प्रतिनिधि और प्रशासन सभी शिथिल पड़े हुए हैं। मीडिया में खबर आने के बाद वर्ष 2023 में जिला परिषद अध्यक्ष जोयेस बेसरा और प्रखंड विकास पदाधिकारी इन दोनों टोलों को देखने आये थे। उस समय ग्रामीणों ने जिला परिषद अध्यक्ष जोयेस बेसरा और प्रखंड विकास पदाधिकारी को अपनी समस्या बतायी थी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखित आवेदन दिया गया था। उस समय प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा था कि मिट्टी-मोरम का काम किया जायेगाण् जिला परिषद अध्यक्ष जोयेस बेसरा ने कहा था कि वे पुनः आएंगी, लेकिन वह दोबारी नहीं आयीं और न ही जन समस्याओं का समाधान हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव में वोट देने के बाद भी कोई विकास नही हो रहा है। इसलिए अबकी बार बिजली, सड़क, चापानल नहीं मिलेगा, तो वोट नहीं करेंगे। इस मौके में दिलीप देहरी, कृष्ण कान्त देहरी, सोनालाल देहरी, राजेंद्र देहरी, सुनील देहरी, दिनेश देहरी, बाबूलाल देहरी, प्रेमलाल देहरी, राजू देहरी, कालाता देवी, सुकुर्मुनी रानी, सीमा देवी आदि उपस्थित थे।