मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के ठिकानों पर छापे में करोड़ों बरामद, तीन साल में 30 करोड़ का दुरुपयोग

पटना : मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के बोधगया एवं पटना स्थित ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने छापेमारी की, जिसमें भारी मात्रा में नकदी बरामद की गयी। विशेष निगरानी इकाई ने उनके करीबी के लखनऊ स्थित ठिकाने पर भी छापेमारी की और वहां से भी नकदी जब्त की गयी है। डॉ राजेंद्र प्रसाद पर विशेष निगरानी इकाई ने जालसाजी और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है।

वहीं, बोधगया में उनके आवास पर की गयी छापेमारी में कई ऐसे कागजात मिले है, जिससे उनके द्वारा भारी अनियमितता किए जाने का पता चलता है।
जानकारी के अनुसार, डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मगध विश्वविद्यालय में अपने पद पर रहते हुए वित्तीय पदाधिकारियों पर गलत भुगतान के लिए दबाव बनाया जिससे उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद डॉ प्रसाद ने अपने प्रभाव के बल पर अपने पसंदीदा लोगों को वित्तीय शाखा में नियुक्त करवा कर गलत भुगतान करवा कर गड़बड़ी की।
जांच में यह पता चला है कि मगध विश्वविद्यालय में 47 गार्ड तैनात हैं, जबकि कागज पर 86 गार्ड की तैनाती दिखाकर उनके नाम से फर्जी निकासी की जाती थी। इसके साथ ही गार्डाें को जितना वेतन दिया जाता था, उससे अधिक की राशि प्रति गार्ड वेतन मद में निकासी की जाती थी। उन पर उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद में गड़बड़ी करने का भी आरोप है।
डॉ राजेंद्र प्रसाद 27 सितंबर 2019 को मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति बने थे। कुछ समय तक वे वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के प्रभारी कुलपति भी रहे। इससे पहले 17 जून 2016 से 24 जून 2019 तक प्रो राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के संस्थापक कुलपति भी रहे थे।
कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद पर जालसाजी और डीए का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में उनके पीए सुबोध कुमार, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के वित्तीय पदाधिकारी ओम प्रकाश, पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार, लखनऊ के पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट प्रिंटर्स, एक्सएलआइसीटी सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड पर भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है।