सामाजिक और आर्थिक गैर बराबरी बढा रही है केद्र की मोदी सरकार : अली अनवर

फरवरी के अंतिम सप्ताह में पटना में होगा राज्यस्तरीय सम्मेलन

उन्होंने कहा कि आरक्षण संविधान विरोधी ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय पर मरणांतक प्रहार है। इसके जरिए सवर्ण वर्चस्व की गारंटी की गयी है। 10 प्रतिशत इडब्ल्यूएस आरक्षण के बाद 50 प्रतिशत की सीलिंग टूट गयी है तो खुद को पिछड़ा, अतिपिछड़ा का बेटा बताने वाले नरेंद्र मोदी को अविलंब ओबीसी की आबादी के अनुपात में 52 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी करनी चाहिए। अभी आंकड़ा सामने आया है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में एससी, एसटी व ओबीसी की ग्रुप – ए, बी व सी की सीटें बड़े पैमाने पर खाली हैं। पहले से ही इनकी हिस्सेदारी आबादी के अनुपात में नहीं है और इनके हिस्से की सीटें भी खाली रखी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि पसमांदा मुसलमानों के प्रति भाजपा विशेष प्रेम का प्रदर्शन कर रही है। पसमांदा मुसलमानों को भरमाने के बजाय नरेंद्र मोदी सरकार दलित मुसलमानों और ईसाइयों को एससी कैटेगरी में शामिल करने के लिए जरूरी कार्रवाई करे और एससी के आरक्षण को भी बढ़ाए।
संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज नये साल में बिहार में साझा मुहिम चलाएगा और फरवरी के अंतिम सप्ताह में पटना में राज्यस्तरीय सम्मेलन करेगा। हमारी मुहिम भाजपा-आरएसएस और एआईएमआईएम जैसी ताकतों को जमीन पर से खदेड़ने की है।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद प्रसिद्ध चिकित्सक और सामाजिक चिंतक डॉ पीएनपी पाल ने कहा कि जाति हमारे मुल्क का यथार्थ है, लेकिन 1931 के बाद आज तक जातिवार जनगणना नहीं हुई है। अद्यतन आंकड़ों के नहीं होने से बहुत सारे सवाल उलझते हैं। आरक्षण जैसे मसले पर न्यायपालिका भी जाति से संबंधित आंकड़ों की मांग करती है। सरकार की नीतियों और विकास योजनाओं व कार्यक्रमों के लिए भी अद्यतन आंकड़े होने चाहिए। अभी तक 1931 के आंकड़ों से ही काम चल रहा है। जनगणना को टालने के बजाय केन्द्र सरकार जरूर जातिवार जनगणना कराये।
उन्होंने कहा कि रोहिणी कमीशन बना है, लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं आयी है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी सरकार रिपोर्ट सार्वजनिक करे। आज भी अति पिछड़े समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी काफी कम है। लोकसभा, राज्यसभा से लेकर विधानसभा व विधान परिषद तक में अतिपिछड़ों के लिए सीटें आरक्षित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जरूर ही कॉलेजियम सिस्टम समाप्त हो, लेकिन हम न्यायपालिका को सरकार की कठपुतली बनाये जाने के खिलाफ हैं। राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बने और नीचे से ऊपर तक न्यायपालिका में एससी-एसटी व ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए।
संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व विधायक एनके नंदा ने कहा कि नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव की नयी सरकार भी कमोबेश पुराने पैटर्न पर ही काम कर रही है और भाजपा को जनाक्रोश का फायदा उठाने का मौका दे रही है। यह बिहार के लिए खतरनाक है। यह बिहार को भाजपा के हवाले करने का रास्ता बनाना है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के दबाव में जिन मुद्दों पर नीतीश कुमार काम नहीं कर पाए, उन मुद्दों को नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव की अगुआई वाली महागठबंधन सरकार को जरूर हल करना चाहिए। भूमि सुधार और कॉमन स्कूल सिस्टम से संबंधित आयोगों की सिफारिशों पर जरूर अमल होना चाहिए। भूमिहीन गरीबों के झुग्गियों-घरों पर बुल्डोजर चलना अविलंब बंद होना चाहिए। उजाड़ने से पहले वैकल्पिक इंतजाम किया जाना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में सुबोध यादव ने कहा कि शराबबंदी कानून गरीबों, कमजोर समुदायों पर कहर बनकर टूट रहा है। जहरीली शराब से वही मारे जा रहे हैं और जेलों में सड़ाये भी जा रहे हैं। शराब माफिया अकूत धन लूट रहे हैं। शराबबंदी के दौर में शराब का अवैध कारोबार बगैर सत्ता के संरक्षण के नहीं चल सकता है। जहरीली शराब से हो रही मौतें दुखदायी हैं। मृतकों के परिजनों को जरूर ही मुआवजा मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य की जनता का बड़ा हिस्सा आज भी जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि गहरे संकट में है। फसलों के उचित दाम पर सरकारी खरीद की गारंटी नहीं हो पाती है। सरकार को एपीएमसी एक्ट को जरूर पुनर्बहाल करना चाहिए।
गौतम कुमार प्रीतम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार को भाजपा मुक्त बनाने के लिए जरूरी है कि बहुजन पसमांदा समाज को एकजुट किया जाए।
एकजुटता में खड़ी बाधाओं को जानने-समझने और उसे हल करने की दिशा में हमने साझा पहल लिया है। हम उत्पीड़ित समाज की आकांक्षाओं-मुश्किलों को जमीनी स्तर पर जानने-समझने के साथ उससे जुड़े सवालों को स्वर देंगे। गोलबंदी और संघर्ष के रास्ते बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि केवल ऊपरी तोड़-जोड़ के जरिए भाजपा-आरएसएस से नहीं निपटा जा सकता है। जमीन पर भी मजबूत एकता बनाने की जरूरत है। हम अपने मुहिम में बिहार में सक्रिय अन्य बहुजन संगठनों, ग्रुपों, सक्रिय कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को भी जोड़ेंगे।
बैठक और संवाददाता सम्मेलन में प्रमुख तौर पर मुख्तार अंसारी, सुमन कुमार सिंह, मुमताज कुरैशी, शाहिद आलम, इम्तियाज आलम, सूरज कुमार यादव, अमन कुमार यादव, सुजीत कुमार, प्रमोद कुमार, जफीर आलम, आर आर साकरी सहित कई अन्य थे।