फातिमा शेख की मनाई गई जयंती, उनके योगदान को याद कर उस पर चलने की अपील
भागलपुर : सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार ने बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव के वार्ड नंबर 11 में वार्ड सदस्य शहीदा खातून की अध्यक्षता में भारत की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका माता फ़ातिमा शेख की जयंती मनाया।
मौके पर मौजूद सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के संयोजक गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि फ़ातिमा शेख वैसे दौर की एक भारतीय शिक्षिका थीं, जब समाज में महिलाओं व शुद्र-अतिशुद्र को शिक्षा से वंचित रखा जाता था।
महामना जोतीबा फुले की ये बातें –
विद्या बिना मति गई
मति बिना नीति गई
नीति बिना गति गई
गति बिना वित्त गया
वित्त बिना शूद्र टूटे
इतने अनर्थ
एक अविद्या ने किए
जोतीबा फुले अविद्या को सारे अनर्थों की जड़ मानते थे। इस बात ने माता फ़ातिमा को काफी प्रभावित किया था। जिससे सावित्रीबाई के साथ कदम-से-कदम मिला कर शिक्षा की ज्योति जगाने संघर्ष के रास्ते चल पड़ीं थी। गौतम ने कहा कि फ़ातिमा शेख को इस रास्ते पर आने के पीछें भी एक रोमांचक घटना है। समाज में फैले अंधविश्वास, अन्याय, उत्पीड़न को लेकर जोतीबा संघर्ष करते हुए जब महिला सशक्तिकरण पर काम करने लगे तो समाज पर ब्राह्मणवादी वर्चस्व के दबाव में जोतीबा को अपना घर से छोड़ना पड़ा। तब इनके मित्र उस्मान शेख ने इन्हें ठहरने के लिए अपना घर दिया। 1 जनवरी 1848 ई में लड़कियों के लिए प्रथम पाठशाला पुणे के गंजपेठ में जहां कि उस्मान शेख ने एक कमरा दिया था, में खोली गई। आज जब महिलाओं की संख्या स्कूल की तरफ मुखातिब हुई है, तब सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बेहतर करने के बजाय हाथ पीछे किया जा रहा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता परवेज आलम ने कहा आज के दौर में हम माता फ़ातिमा शेख व माता सावित्रीबाई फुले के मार्ग पर चलकर ही आगे बढ़ सकते हैं।
बहुजन स्टूडेन्ट्स यूनियन, बिहार के सचिव अनुपम आशीष ने कहा छात्र-नौजवान का रोल.मॉडल माता फ़ातिमा शेख व सावित्रीबाई फुले को मानकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
मौके पर आशनाई, आफिजा, आशना अतिफा, नूरजहां खातून, आफया, मिनहाज आलम, साजिद अंसारी, साहेब अंसारी, साहिद अंसारी सहित कई अन्य मौजूद थे।