Video : रोते-रोते और हाथ जोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी से क्या बोलीं निर्भया की मां?

Video : रोते-रोते और हाथ जोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी से क्या बोलीं निर्भया की मां?

नयी दिल्ली : निर्भया केस के दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी होगी या नहीं नहीं, इस पर देश में बहस छिड़ी हुई है. घरों में टीवी देखते हुए, नुक्कड़ पर खड़े लोग और चाय की दुकान पर बतकही कहते लोग इस पर गंभीर चर्चा व सवाल-जवाब करते हुए दिख जाते हैं. लोग घृणित बलात्कार कांड व शारीरिक निर्ममता के दोषियों के खिलाफ बहुत स्पष्ट रूप से सजा की उम्मीद रखते हैं. लेकिन, कोर्ट-कचहरी में यह मामला अटकता दिख रहा है. इस मामले में दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी गयी है और एक पक्ष का तर्क है कि किसी भी प्रकार की याचिका के बाद और 14 दिनों का वक्त मिलता है. ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि निर्भया के दोषियों को निचली अदालत द्वारा तय दिन, तय समय पर सजा होगी या नहीं.

अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते-लड़ते निर्भया की मां एक साधारण महिला से एक असाधारण महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में पहचान पा चुकी हैं. परसों उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में यह मामला जाने के बाद दिल्ली सरकार के वकील के तर्क पर नाराजगी जतायी थी और आज उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में अपील की है.

निर्भया की मां ने कहा है कि मैं पालिटिक्स की बात नहीं करती थी. पर, मैं अब कहना चाहती हूं कि जो लोग 2012 में सड़कों पर प्रदर्शन करते थे वे अब राजनीतिक लाभ के लिए मेरी बेटी की मौत से खेल रहे हैं. उन्होंने जारी राजनीतिक बयानबाजी पर कहा कि ये दोनों राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे से खेल रहे हैं और हमें इसके लिए मोहरा बनाया.

आशा देवी ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगी कि उन्होंने 2014 में कहा था कि बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार. उन्होंने कहा कि साहब, मैं आपसे हाथ जोड़ कर कहना चाहती हूं कि जिस तरह आप दोबारा सरकार में आए, आपने हजारों काम किए, तीन तलाक हटाए. मैं आपसे हाथ जोड़ कर कहना चाहूंगी कि आप इस कानून में संशोधन कीजिए. उन्होंने कहा कि आप एक बच्ची की मौत के साथ मजाक मत होने दीजिए और उन चारों मुजरिमों को 22 तारीख को फांसी पर लटकाइए और देश को दिखाइए कि हम देश के रखवाले हैं और महिलाओं को सुरक्षा दे सकते हैं.

निर्भया की मां आशा देवी ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि एक बच्ची की मौत का मजाक नहीं होने दें. चारों दोषियों को 22 तारीख को फांसी पर लटकाएं और यह दिखाएं कि हम नारी पर अत्याचार नहीं होने देंगे.

Edited By: Samridh Jharkhand

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